A
Hindi News भारत राष्ट्रीय McAfee Report: आपके बच्चे को कोई इंटरनेट पर दे रहा 'भद्दी' गालियां! तो कई को मिल रहीं धमकियां, जानिए क्या होती है साइबर बुलिंग?

McAfee Report: आपके बच्चे को कोई इंटरनेट पर दे रहा 'भद्दी' गालियां! तो कई को मिल रहीं धमकियां, जानिए क्या होती है साइबर बुलिंग?

Cyberbullying: McAfee ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 'साइबरबुलिंग के शिकार सबसे अधिक दुनियाभर भारत के 85 प्रतिशत बच्चे हुए हैं। इस अध्यन में पाया गया है कि भारत में चार में से तीन बच्चे साइबर बुलिंग के जाल में फंस गए हैं।

Cyberbullying- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Cyberbullying

Highlights

  • 42 प्रतिशत भारतीय बच्चे नस्लवादी(जातिवाद) साइबरबुलिंग के शिकार हुए हैं
  • कम उम्र के बच्चे जागरुक नहीं होते हैं
  • बदमाशी और धमकी भरा मेसेज ये सब साइबरबुलिंग की पहचान है

Cyberbullying: McAfee ने एक रिपोर्ट जारी किया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 'साइबरबुलिंग के शिकार सबसे अधिक दुनियाभर भारत के 85 प्रतिशत बच्चे हुए हैं। इस अध्यन में पाया गया है कि भारत में चार में से तीन बच्चे साइबर बुलिंग के जाल में फंस गए हैं। 

साइबरबुलिंग क्या होता है?
ऑनलाइन होने वाले छेड़खानी, बदमाशी और धमकी भरा मेसेज ये सब साइबरबुलिंग की पहचान है। अगर आपके साथ कोई व्यक्ति ऐसा कर रहा है तो आप साइबरबुलिंग के शिकार हो चुके हैं। साइबरबुलिंग खासतौर सोशल मीडिया के जरिए किया जाता है। जहां यूजर ऑनलाइन कंटेट पढ़ सकते हैं, सामने किसी व्यक्ति से बात कर सकते हैं। या किसी के लिखे गए कंटेट से आहत पहुंची हो। इसके साथ ही साथ अगर कोई व्यक्ति आपके बारे में किसी और व्यक्ति से शेयर कर रहा है तो ये भी साइबरबुलिंग ही है। आपसे संबंधित कोई फोटो या वीडियों इंटरनेट पर डाला जा रहा है। आपको अपमान करने के लिए लेख लिखे जा रहे हैं। इस तरह के सारे मामले साइबर क्राइम के अनुसार क्राइम माने जाते हैं। 

Mcafee की रिपोर्ट क्या है कहती 
जातिवाद, यौन उत्पीड़न भारत में सबसे ज्यादा सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में दुनिया में नस्लवादी साइबर धमकी की दर सबसे अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 42 प्रतिशत भारतीय बच्चे नस्लवादी(जातिवाद) साइबरबुलिंग के शिकार हुए हैं, जो शेष विश्व की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है। भारत में साइबरबुलिंग की रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी थी। यहां भारत और वैश्विक संख्या के बीच तुलना है डेटा के आयु-आधारित विश्लेषण से पता चलता है कि छोटे बच्चे साइबरबुलिंग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। रिपोर्ट ने ये भी दावा किया है कि कम उम्र के बच्चे जागरुक नहीं होते हैं। वही तीन में से एक बच्चा 10 साल की उम्र से ही साइबर-नस्लवाद, यौन उत्पीड़न, मानसिक तनाव और कई धमकियों का सामना करता है। इसके अलावा भारत में युवा लड़कियां यौन उत्पीड़न और व्यक्तिगत नुकसान की धमकियों से परेशान होती है। ये आकंड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा हैं, लड़कियों में 10 वर्ष से 14 वर्ष तक 32 प्रतिशत और लड़कियां 15 से 16 तक 34 प्रतिशत हैं। हालांकि, यह आंकड़ा 17 से 18 साल की उम्र में काफी कम हो जाता है। अपराधी साइबरबुलिंग के अपराधियों के संबंध में यह मुद्दा समान रूप से चिंताजनक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चार में से तीन भारतीय बच्चों का कहना है कि उन्होंने भी किसी और को साइबर धमकी दी है।

Latest India News