Sanskrit Education: देश के भाषाई खजाने के संरक्षण की जरूरत पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि संस्कृत शिक्षा को पुनर्जीवित करने के लिए एक जन आंदोलन की जरूरत है जिसमें सभी हितधारकों को समृद्ध, प्राचीन साहित्य और सांस्कृतिक विरासत की नए सिरे से खोज में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी संस्कृत को संरक्षित और बढ़ावा देने के नए अवसर खोलती है। उपराष्ट्रपति राजभवन में आयोजित कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
सांस्कृतिक विरासत की नए सिरे से खोज में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन देना होगा
उपराष्ट्रपति ने कहा, "हम तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के युग में रह रहे हैं। महामारी के दौरान जब हर कोई घर से काम कर रहा था हमें कम्युनिकेशन रेव्यूलेशन के महत्व का एहसास हुआ है। यही टेक्नोलॉजी हमारे खाली समय में संस्कृत जैसी नई भाषाओं को ऑनलाइन सीखने में हमारी मदद कर सकती है।" दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि प्राचीन पांडुलिपियों, रिकार्डस् और इनक्रिप्शन का डिजिटाइजेशन, वेदों के पाठ की रिकॉर्डिंग, संस्कृत के पुराने ग्रंथों के अर्थ और महत्व को उजागर करने वाली किताबों का प्रकाशन, संस्कृत ग्रंथों में निहित संस्कृति को संरक्षित करने के कुछ तरीके खोजने होंगे। "हमें संस्कृत शिक्षा को पुनर्जीवित करने के लिए इसे एक जन आंदोलन बनाना चाहिए, जहां सभी हितधारकों को भारत के समृद्ध प्राचीन साहित्य और सांस्कृतिक विरासत की नए सिरे से खोज में योगदान देना चाहिए।"
"हमें इन भाषाई खजाने को संरक्षित करना चाहिए"
इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, संस्कृत विश्वविद्यालय के अधिकारी और विद्वान उपस्थित थे। असाधारण रचनात्मक कार्यों के कारण संस्कृत को महत्वपूर्ण भाषा बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, "हमें इन भाषाई खजाने को संरक्षित करना चाहिए।" नायडू ने आगे कहा कि प्रत्येक भाषा की एक अनूठी संरचना और साहित्यिक परंपरा है तथा प्राचीन भाषाओं और उनके साहित्य ने राष्ट्र को गौरवपूर्ण दर्जा प्राप्त करने में बहुत योगदान दिया है।
संस्कृत ज्ञान और साहित्यिक परंपराओं का सोर्स रहा है
उन्होंने आगे कहा कि किसी भाषा को केवल संवैधानिक प्रावधानों या सरकारी सहायता या संरक्षण से संरक्षित नहीं किया जा सकता है। संस्कृत एक अमूर्त विरासत है और सदियों से, यह ज्ञान और साहित्यिक परंपराओं का सोर्स रहा है। नायडू ने कहा कि यूनेस्को ने भी संस्कृत में वैदिक पाठ को एक अमूर्त विरासत के रूप में मान्यता दी है। उपराष्ट्रपति ने कहा, "संस्कृत हमें भारत की आत्मा को समझने में मदद करती है। अगर किसी को भारतीय विश्वदृष्टि को समझना है तो संस्कृत सीखनी होगी। अगर किसी को भारतीय कवियों की साहित्यिक प्रतिभा की सराहना करनी है तो उसे संस्कृत से परिचित होना चाहिए।"
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