Indian Army: भारत के आजाद होने के बाद सेना में कई बदलाव हुए। कई ऐसे परंपरा और रिवाज जिसे अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे उसे अब धीरे-धीरे खत्म की जा रही है। साल 2014 के बाद सेना में व्यापक बदलाव देखने को मिला और यह निरंतर जारी है। प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा था कि देश से गुलामी की निशानी को मिटाने हैं। हाल ही में पीएम मोदी ने नौसेना के झंडे को बदल दिया। वही अब पीएम भारतीय सेना में कुछ बड़े बदलाव करने के लिए निर्देश दिए हैं।
सेना के मुताबिक, भारतीय सेना में कुछ ऐसे रिवाज है, जो निवेशक और पूर्व औपनिवेशिक काल से जुड़े हैं। इन रिवाजों में अब जंग लग चुकी हैं इसलिए समय के साथ इन सभी परंपरा और रिवाजों की समीक्षा करने की जरूरत है। ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत की निशानी मिटाने के लिए कई नाम और परंपराओं में बदलाव किया जाएगा।
क्या हो सकते हैं बड़े बदलाव?
सरकार के आदेश पर सेना के कई इमारत, सड़क, प्रतिष्ठानों और पार्क आदि के नाम बदलने के लिए समीक्षा की जाएगी। वही 26 जनवरी पर चार दिवसीय समारोह का आयोजन होता है, जिसमें सबसे आखरी कार्यक्रम बीटिंग द रिट्रीट ही होता है। हाल ही में बीटिंग द रिट्रीट में abide with me गाने की धुन को भी हटा दिया गया।वही अगले साल 15 जनवरी को होने वाले परेड दक्षिणी कमान क्षेत्र में आयोजित की जाएगी। आगे रेजीमेंट सिस्टम में बदलाव होने की बात सामने आ रही है।
जब कोई सेना में भर्ती होता है तो उसे एक रेजीमेंट का हिस्सा बनाया जाता है। उसके नाम, जाति या स्थान के आधार पर रेजीमेंट तय किया जाता है। अब इसके नाम आदि में बदलाव किए जा सकते हैं। वहीं कई यूनिट के भी नाम बदलने की प्रक्रिया जारी है। उदाहरण के तौर पर जैसे 16 लाइट कवलरी, 17 पुणे हाउस, 9 हॉर्स, 4 हॉर्स, 15 हॉर्स, 2 लांसर, 7 लाइट कवलरी आदि के नामों बदलाव किए जाएंगे है।
अब तक सेना में क्या बदलाव हुआ
हाल में हुए बड़े बदलाव
हाल ही में आपने सेना में सबसे बदलाव देखा होगा। सेना में भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया गया है। सेना में अग्नीपथ योजना के तहत भर्तियां होंगी। युवाओं की सेना में केवल 4 साल के लिए मौका होगा। इसकी पूरी प्रक्रिया अलग होगी। लड़ाकू विमानों के लिए भारतीय सेना की नई वर्दी भी मिली। वर्दी में छलावरण पैटर्न और नए कपड़े का प्रयोग किया गया है। इसके लिए अलावा सेना में सीडीएस की व्यवस्था की गई। देश में पहले चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी की व्यवस्था की नींव रखी गई थी
हालांकि बाद में इसी के स्थान पर सीडीएस की व्यवस्था बना दी गई, जो तीनों सेनाओं के बीच कोआर्डिनेशन बनाने का काम करती थी। भारत में पहली बार सीडीएस के पद पर बिपिन रावत को नियुक्त किया गया था, जिनकी एयर दुर्घटना में पिछले साल मौत हो गई थी।
Latest India News