London Tour: दिल्ली से लंदन की दूरी 20 हजार किलोमीटर से अधिक है और यह दूरी अक्सर उड़ान द्वारा तय की जाती है। अब जल्द ही लोग बस से भी लंदन जा सकेंगे। हालांकि, यह पहली बार नहीं होगा जब लोग भारत से लंदन का सफर बस से करेंगे। ऐसा पहले भी हो चुका है और उस समय यह अपने आप में एक रिकॉर्ड था। आज भी लोग सोशल मीडिया पर इसकी एक फोटो शेयर कर इसकी चर्चा कर रहे हैं. आखिर वह क्या था और कैसे इस बस ने लंदन तक का सफर तय किया, जानिए।
बस 2 अगस्त 1957 को लंदर से चली
1957 में, ओसवाल्ड-जोसेफ गैरो फिशर ने 'इंडियामैन' नाम से एक बस सेवा शुरू की। यह बस 15 अप्रैल 1957 को लंदन के विक्टोरिया कोच स्टेशन से कोलकाता के लिए रवाना हुई थी। 20 हजार किलोमीटर से अधिक की उस यात्रा को रोमांचकारी अनुभव बताया गया। रेगिस्तान, जंगलों और पहाड़ों को पार करते हुए बस कोलकाता पहुंची। उस यात्रा में करीब 20 लोग लंदन से कोलकाता के लिए निकले थे और सिर्फ 7 लोगों ने ही लंदन वापसी का टिकट लिया था। बस 5 जून को कोलकाता पहुंची और 2 अगस्त 1957 को लंदन के लिए रवाना हुई।
16 दिन देरी से क्यों पहुंची थी बस?
लंदन से कोलकाता का किराया £85 था और वापसी का किराया £65 निर्धारित किया गया था। यह बस फ्रांस, इटली, यूगोस्लाविया, बुल्गारिया, तुर्की, ईरान और पाकिस्तान के रास्ते भारत आई थी। ये बस 16 दिन देरी से भारत पहुंची थी। एशिया में फैली फ्लू महामारी के कारण बस को भारत आने में देरी हुई और इस वजह से इसे पाकिस्तान-ईरान सीमा पर रोक दिया गया। वह लाहौर, रावलपिंडी, काबुल, कंधार, तेहरान, वियना और ऐसे कई खूबसूरत देशों से होते हुए भारत पहुंचती थीं। यह बस गंगा, ताजमहल, राजपथ, राइन घाटी और मयूर सिंहासन से होकर गुजरती थी। उस समय यात्रियों को नई दिल्ली, तेहरान, साल्ज़बर्ग, इस्तांबुल और वियना में भी मुफ्त खरीदारी करने का अवसर मिलता था।
क्या ईरान में डैकतों ने हमला किया था?
जब बस लंदन के लिए चली थी तो एक अफवाह उड़ा दिया गया था। इस अफवाह से ब्रिटेन के अधिकारी काफी परेशान हो गए थे। आपको बता दें कि लोगों ने अफवाह बना दिया था कि ईरान से गुजरते समय सभी यात्रियों को डकैतों ने मार डाला है लेकिन कुछ ही समय बाद ब्रिटिश दूतावास के अधिकारियों को पता चला कि यह सिर्फ एक अफवाह थी और सभी यात्री सुरक्षित थे। अधिकारियों ने राहत की सांस ली, यात्रियों के लिए कॉकटेल पार्टी की व्यवस्था की। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने उस यात्रा की जानकारी दी थी। बस के मालिक फिशर ने कहा कि उन्हें रास्ते में खतरनाक चोटियों और तुर्की में माउंट अरारत के तीखे मोड़ मिले लेकिन हमने इन सबका सामना किया था। उन्होंने बताया कि ईरान में रेगिस्तान के कारण बस के रेत में फंसने का खतरा बना था लेकिन हमने इस कठिन रास्ते को भी पार कर दिया था। इस क्षेत्र में अक्सर रेत के तूफान आते थे और यह बहुत गर्म भी था।
आखिर इस यात्रा पर रोक क्यों लग गई?
बस में सवार पीटर मॉस, जो उस समय 22 वर्ष का था वो लंदन नहीं लौटा। उन्होंने पूर्व में समुद्र के रास्ते मलेशिया में अपनी यात्रा जारी रखी। उन्होंने 'द इंडियामैन' शीर्षक से एक डायरी भी लिखी थी और उसमें उन्होंने यात्रा के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी थी। यह यात्रा पूरी होने के बाद यह बस तीन और यात्राओं पर निकली। 1960 के दशक तक, हिप्पी के बीच इस तरह की सड़क यात्राएं बहुत लोकप्रिय हो गई थीं। ऐसी ही यात्रा पर वे भारत आने लगे। हालांकि 1970 के दशक में कई राजनीतिक और सैन्य संघर्षों के कारण सड़क मार्ग सफर करना काफी मुश्किल हो गया था इसलिए बाद में इसे बंद करना पड़ा। अब यह सफर फिर शुरू होने वाला है। एडवेंचर ओवरलैंड भारत के एक पर्यटन संचालक ने दिल्ली से लंदन की 70-दिवसीय यात्रा शुरू करने की घोषणा की है। ये बसें पोलैंड, रूस, कजाकिस्तान, चीन और म्यांमार के रास्ते लंदन पहुंचेंगी।
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