लोकपाल ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ CBI जांच का आदेश दिया, 6 महीने के अंदर मांगी रिपोर्ट
महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकपाल ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। लोकपाल ने अपने आदेश में कहा है कि एजेंसी 6 महीने के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करे।
नई दिल्ली: लोकपाल ने संसद से निष्काषित टीएमसी सांसद मुहआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया है। साथ ही सीबीआई को यह आदेश दिया है कि 6 महीने के अंदर वह जांच रिपोर्ट पेश करे। लोकपाल ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ आईपीसी 203(a) के तहत केस दर्ज कर जांच करने और हर महीने की जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट बताने के लिए कहा है। बता दें कि कैश फॉर क्वेरी केस में महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया गया था।
फिलहाल सीबीआई को लोकपाल के आदेश का इंतजार
नवंबर 2023 में सीबीआई ने लोकपाल के आदेश पर प्राथमिक जांच शुरू करके रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद लोकपाल ने इस मामले की विस्तृत जांच का आदेश दिया है। वहीं सीबीआई सूत्रों का कहना है कि अभी इस मामले में केस दर्ज नहीं किया गया है। लोकपाल के आदेश को देखने और स्टडी करने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। मामला दर्ज करने से पहले डीओपीटी एक आदेश जारी करता है जिसके बाद सीबीआई केस दर्ज करके जांच शुरू करेगी।
निशिकांत दुबे का पोस्ट
वहीं लोकपाल द्वारा महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई जांच को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- आज मेरे शिकायत को सही मानते हुए लोकपाल ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ CBI को जॉंच करने का आदेश दिया । यानि चंद पैसों के लिए तृणमूल कॉंग्रेस की पूर्व सांसद ने हीरानंदानी के साथ भ्रष्टाचार व देश की सुरक्षा को गिरवी रखा। निशिकांत दुबे ने लोकपाल के ऑर्डर की कॉपी को भी अपने पोस्ट में संलग्न किया है।
सुप्रीम कोर्ट मई में करेगा सुनवाई
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती देनेवाली महुआ मोइत्रा की याचिका पर कहा कि वह मई महीने में इस पर सुनवाई करेगा। पिछले साल आठ दिसंबर को आचार समिति की रिपोर्ट पर लोकसभा में तीखी बहस के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ‘अनैतिक आचरण’ के लिए टीएमसी सांसद को सदन से निष्कासित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। जोशी ने कहा था कि आचार समिति ने मोइत्रा को ‘अनैतिक आचरण’ और सदन की अवमानना का दोषी पाया क्योंकि उन्होंने लोकसभा सदस्यों के लिए बने पोर्टल की जानकारी (उपयोगकर्ता आईडी और पासवर्ड) अनधिकृत लोगों के साथ साझा किए थे, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ा था। समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि मोइत्रा के ‘अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक आचरण’ को देखते हुए सरकार द्वारा तय समय सीमा के साथ एक गहन कानूनी और संस्थागत जांच शुरू की जाए।
एक सांसद के रूप में महुआ का आचरण अशोभनीय -जोशी
जोशी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अशोभनीय पाया गया क्योंकि उन्होंने एक व्यवसायी के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उससे उपहार और अवैध लाभ स्वीकार किये जो कि बहुत निंदनीय कृत्य है। इससे पहले आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा मोइत्रा के खिलाफ दायर शिकायत पर समिति की रिपोर्ट पेश की थी। दुबे ने पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जय अनंत देहद्रई द्वारा प्रस्तुत एक शिकायत के आधार पर आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने उद्योगपति गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार के बदले में लोकसभा में सवाल पूछे थे। हीरानंदानी ने 19 अक्टूबर, 2023 को आचार समिति को सौंपे गये अपने हलफनामें में दावा किया था कि मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यों से जुड़ी वेबसाइट से संबंधित अपने लॉगइन आईडी और पासवर्ड की जानकारी उनसे साझा की थी। (इनपुट-भाषा)