1952 के पहले लोक सभा चुनाव से 2024 तक 80 करोड़ बढ़ गई मतदाताओं की संख्या, 72 वर्षों में सीटों से लेकर क्या कुछ बदला?
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। इस बार 97 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। बता दें कि देश में 1952 में हुए पहले आम चुनाव के दौरान कुल मतदाताओं की संख्या 17 करोड़ थी। अब वोटरों की संख्या तब से 80 करोड़ अधिक हो चुकी है।
देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव 2024 का पूरा कार्यक्रम जारी कर दिया है। देश के सभी राज्यों में 7 चरणों में वोटिंग कराई जाएगी। पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा। आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होगा। मतों की गणना 04 जून को की जानी है। बता दें कि भारत में पहले आम चुनाव अक्टूबर 1951 से मार्च 1952 के बीच हुए थे। तब से लेकर अब तक 72 वर्षों में चुनाव के मद्देनजर क्या कुछ बदला है। आइये आपको कई दिलचस्प जानकारियों से अवगत कराते हैं।
उल्लेखनीय है कि देश के पहले लोकसभा चुनाव में 401 निर्वाचन क्षेत्रों की कुल 489 सीटों के लिए मतदान हुआ था। तब वोटरों की कुल संख्या 17 करोड़ 32 लाख के करीब थी। भारत के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे। तब बैलेट पेपर पर चुनाव हुआ करता था। मगर ब 72 वर्षों में बहुत कुछ बदल चुका है। इस दौरान में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से वोट डाले जा रहे हैं। पहले लोकसभा चुनाव में 25 राज्यों की 489 सीटों के लिए कुल 1949 उम्मीदवार मैदान में थे। इस मतदान में जम्मू-कश्मीर राज्य शामिल नहीं था।
72 वर्षों में हुए कई अहम बदलाव
वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक पहुंचते-पहुंचते देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव हो चुके हैं। सबसे बड़ा बदलाव मतदाताओं की उम्र और उनकी संख्या को लेकर हुआ है। पहले लोकसभा चुनाव के दौरान 21 वर्ष की उम्र तक के लोगों को ही वोट देने का अधिकार था। मगर अब 18 वर्ष तक की आयु के लोग मतदान के लिए पात्र होते हैं। तब से लेकर अब तक मतदाताओं की संख्या में 80 करोड़ वोटरों का भारी इजाफा हुआ है। भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार वर्ष 2024 में मतदाताओं की कुल संख्या 97 करोड़ पहुंच चुकी है। जबकि पहले चुनाव के दौरान सिर्फ 17 करोड़ मतदाता थे। अब बैलेट पेपर की जगह ईवीएम ने ले ली है।
68 चरणों में हुआ था देश का पहला चुनाव
जटिल चुनावी परिस्थितियों और कठिन चुनौतियों के चलते देश का पहला चुनाव 68 चरणों में कराना पड़ा था। वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव के लिए भारत में पहला वोट हिमाचल प्रदेश की चीनी तहसील में वर्ष 1951 में डाला गया था। मौसम और बर्फबारी को ध्यान में रखते हुए यहां सबसे पहले चुनाव कराए गए थे। देश के अन्य राज्यों में वर्ष 1952 की लोकसभा के लिए आम चुनाव फरवरी व मार्च के महीने में हुए थे। अब पिछले कुछ वर्षों से देश के सभी राज्यों में 7 चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं।
कांग्रेस ने दर्ज की थी एकतरफा जीत
देश के पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 489 में से 364 सीटें हासिल हुई थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू तब कांग्रेस की ओर से आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। पहले चुनाव में देश की कुल 53 पार्टियों ने चुनाव लड़ा था। वहीं 533 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे। इस चुनाव में कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार थे, जिन्होंने कुल 37 सीटें जीती थी। वहीं भाकपा को 16 और जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीटों पर जीत मिली थी।
इस राज्य में थीं सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें
सीटों की संख्या के लिहाज से तब उत्तर प्रदेश ही सबसे बड़ा राज्य था और अभी भी है। इस राज्य में पहले लोकसभा की 86 सीटें थीं। मौजूदा वक्त में यहां 80 लोकसभा सीटें हैं। सीटों की संख्या के मामले में तब मद्रास 75 और बिहार 55 सीटों वाले राज्य थे।
बीआर आंबेडकर को मिली थी हार
इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि देश के पहले कानून मंत्री बनाए गए संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर 1952 का पहला लोकसभा चुनाव हार गए थे। वह बॉम्बे (उत्तर मध्य) से अनुसूचित जाति महासंघ के उम्मीदवार थे। उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार नारायण सदोबा काजरोलकर ने 14 हजार से अधिक मतों से हरा दिया था। डॉ. आंबेडकर को 1,23,576 औक नारायण सदोबा को 1,38,137 मत हासिल हुए थे। बाद में डॉ. बीआर आंबेडकर को राज्यसभा से संसद का सदस्य बनाया गया।
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