यूजीसी नेट परीक्षा का रद्द होना हो या फिर नीट परीक्षा में पेपर लीक का मामला हो, एनटीए की पारदर्शिता विवादों के घेरे में है। इस बीच लातूर के एक प्रोफेसर का ईमेल चर्चा का कारण बना हुआ है। दरअसल अप्रैल में ही लातूर के प्रोफेसर ने अपने के महीने में एनटीए को एक ईमेल किया था। ईमेल में प्रोफेसर ने परीक्षा केंद्र में धांधली होने का अंदेशा जताया था। लेकिन इस मेल का एनटीए ने कोई जवाब तक नहीं दिया है। जब लातूर में नीट पेपर लीक की बात सामने आई तो लातूर पुलिस एक्शन मोड में आ गई और दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही दो आरोपियों की तलाश चल रही है।
प्रोफेसर के ईमेल का एनटीए ने नहीं दिया जवाब
वहीं दूसरी तरफ अब सवाल यह पैदा हो रहा है कि क्या ये स्कैम रोका जा सकता था? लातूर के प्रोफेसर ने एनटीए को किए गए ईमेल में एनटीए को अलर्ट किया था कि महाराष्ट्र के कई जिलों के बच्चे दूसरे राज्यों में परीक्षा देने जा रहे हैं। यह बहुत गंभीर बात है और उन्हें शक है कि जो बच्चे दूसरे राज्यों में यानी कि अपने घर से 800 से 1000 किमी दूर जाकर परीक्षा दे रहे हैं, वह सभी परीक्षा केंद्र कहीं ना कहीं कॉम्प्रोमाइज हो सकते हैं। प्रोफेसर दिलीप देशमुख जो कि राजर्षि शाहू जूनियर साइंस कॉलेज के डायरेक्टर हैं, उन्होंने इंडिया टीवी से बातचीत की।
प्रोफेसर ने दिखाए उदाहरण
उन्होंने उदाहरण दिखाते हुए बताया कि कुछ बच्चों के 2022 में कम नंबर आए थे। लेकिन 2023 में उन्होंने कर्नाटक के बेलगावी में परीक्षा दी और उन्हें बहुत बढ़िया नंबर मिले। देशमुख ने आगे बताया कि इन्हीं सब की वजह से हमने एनटीए को अलर्ट किया था। एनटीए की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। देशमुख ने ईमेल तब लिखा था जब नीट परीक्षा नहीं हुई ती। अगर एनटीए ने थोड़ी जागरूकता दिखाई होती तो शायद परीक्षा के नतीजों की तस्वीर कुछ और होती।
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