नगालैंड: गोलीबारी में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार, मुख्यमंत्री ने AFSPA हटाने की मांग की
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (सेना) कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा कर दी है।’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी आफस्पा को रद्द करने की मांग की।
Highlights
- नगालैंड के विभिन्न इलाकों में सोमवार को बंद बुलाया गया
- नगालैंड के विभिन्न इलाकों में सोमवार को बंद बुलाया गया
- नगालैंड पुलिस ने सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ FIR दर्ज की
कोहिमा/नई दिल्ली: सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत को लेकर आक्रोश के बीच नगालैंड के विभिन्न इलाकों में सोमवार को बंद का आयोजन किया। वहीं, सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को निरस्त करने की मांग भी उठाई गई। नगालैंड पुलिस ने सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की है। मोन कस्बे में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) को निरस्त करने की मांग की। मोन मुख्यालय हेलीपैड ग्राउंड में शवों के अंतिम संस्कार के समय रियो ने कहा, ‘‘आफस्पा सेना को बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के नागरिकों को गिरफ्तार करने, आवासों पर छापा मारने और लोगों को मारने का अधिकार देता है, लेकिन सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (सेना) कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा कर दी है।’’ रियो ने ट्वीट किया, ‘‘नगालैंड और नगा लोगों ने हमेशा आफस्पा का विरोध किया है। इसे वापस लेना चाहिए।’’ गोलीबारी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए रियो ने कहा, ‘‘उनके बलिदान को भुलाया नहीं जाएगा। इसमें हम साथ हैं। हम लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि सुरक्षा बलों ने आम नागरिकों की पहचान के लिए उन्हें रोके बिना सीधे उन पर गोलियां चलाईं, इसलिए घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की जाएगी। रियो ने कहा, ‘‘उन्होंने (खनिकों ने) भारत के लिए नहीं बल्कि नागाओं के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है।’’ मुख्यमंत्री ने घटना में मारे गए लोगों के प्रत्येक के परिजनों को पांच लाख रुपये और घायलों को एक-एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की।
रियो ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रत्येक पीड़ित के परिवारों को 11 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए रियो ने कहा कि उन्होंने शाह को सूचित किया कि राज्य में स्थिति ‘‘ठीक’’ है लेकिन सेना ने ‘‘गलती’’ की है। रियो ने शोक संतप्त लोगों को बताया कि शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और 3 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जे पी मैथ्यू ने उन्हें इस घटना की गहन जांच और जिम्मेदार लोगों को सजा का आश्वासन दिया है। शाह ने नगालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों की मौत की घटना पर खेद प्रकट करते हुए सोमवार को कहा कि इसकी विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है तथा सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में ऐसे किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो।
नगालैंड की घटना पर लोकसभा में अपने बयान में शाह ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र में उभरती स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है और वहां शांति एवं अमन सुनिश्चित करने के लिये जरूरी कदम उठाये गए हैं। उन्होंने कहा कि नगालैंड की घटना की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जिसे एक महीने के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया है। गृह मंत्री ने कहा, ‘‘सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में विद्रोहियों के खिलाफ अभियान चलाते समय इस तरह की किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो।’’
बहरहाल, प्रभावशाली संगठन नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) का छह घंटे का बंद शांतिपूर्ण रहा। नागालैंड के प्रतिष्ठित हॉर्नबिल उत्सव के मुख्य स्थल किसामा में सुरम्य नगा विरासत गांव में सोमवार को वीराना पसरा रहा, क्योंकि सरकार ने मोन जिले में आम नागरिकों को मार डाले जाने के खिलाफ एकजुटता दर्शाने के लिए आज के लिए निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब सेना के जवानों ने शनिवार शाम को एक पिकअप वैन में घर लौट रहे कोयला खदान कर्मियों को प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (के) के युंग आंग गुट से संबंधित उग्रवादी समझ लिया।
इस घटना में छह लोग मारे गए थे। जब मजदूर अपने घरों को नहीं लौटे, तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में गए और सेना के वाहनों को घेर लिया। इसके बाद हुई झड़प में एक सैनिक की मौत हो गई और कई वाहन जला दिए गए। सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि दंगा रविवार दोपहर तक जारी रहा। गुस्साई भीड़ ने कोन्यक यूनियन के कार्यालयों और इलाके में असम राइफल्स के शिविर में तोड़फोड़ की, और इसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी। सुरक्षा बलों ने हमलावरों पर जवाबी गोलीबारी की, जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई।