लखीमपुरी-खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को एक हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले पर पीड़ित पक्ष को नहीं सुना।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आशीष मिश्रा को जमानत देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को भी रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को पीड़ित पक्ष को भी सुनना चाहिए।
कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द किए जाने का अनुरोध करने की किसानों की याचिका पर चार अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले, कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका मंजूर करने के इलाहबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाए थे और कहा था कि जब मामले की सुनवाई अभी शुरू होनी बाकी है, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट और चोटों की प्रकृति जैसी अनावश्यक बातों पर गौर नहीं किया जाना चाहिए।
किसानों की ओर से पेश हए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने दलील दी थी कि हाई कोर्ट ने व्यापक आरोप पत्र पर विचार नहीं किया, बल्कि प्राथमिकी पर भरोसा किया। राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि आरोपी के देश से बाहर जाने की आशंका नहीं है और उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं रही है।
शीर्ष कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 16 मार्च को उत्तर प्रदेश सरकार और आशीष मिश्रा से जवाब मांगा था। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था। इससे पहले, किसानों की ओर से पेश वकील ने 10 मार्च को एक प्रमुख गवाह पर हुए हमले का जिक्र किया था। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में मारे गए किसानों के परिवारों के सदस्यों ने आशीष मिश्रा को जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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