महिला सुरक्षा के लिए ममता सरकार की गाइडलाइंस पर क्यों उठे सवाल? लोग बोले- ऐसे तो अवसर कम होंगे
नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने रात्रेर साथी फ्लैगशिप कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत कुल 17 गाइडलाइंस जारी की गई हैं। हालांकि, इन गाइडलाइंस का विरोध होने लगा है।
कोलकाता में महिला डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले में अब तक हंगामा जारी है। इस पूरे मामले में कोलकाता पुलिस और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों ही सवालों के घेरे में हैं। घटना को लेकर बैकफुट पर आई ममता बनर्जी सरकार ने हाल ही में रात्रेर साथी अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत मेडिकल कॉलेज समेत विभिन्न स्थानों पर महिला वर्कर्स की सुरक्षा के लिए कुल 17 गाइडलाइंस जारी की गई हैं। हालाकि, सरकार द्वारा जारी इन गाइडलाइंस को भी अब सवालों के घेरे में खड़ा किया जा रहा है।
क्या है रात्रेर साथी फ्लैगशिप कार्यक्रम?
नाईट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने रात्रेर साथी फ्लैगशिप कार्यक्रम शुरू किया है। सरकार ने नोटिस में बताया है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों, छात्रावासों और अन्य स्थानों पर जुड़े रात की नाइट शिफ्ट में महिलाओं के लिए सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियां प्रदान करना है।
क्या हैं गाइडलाइंस?
1. महिलाओं के लिए शौचालय सहित अलग से विश्राम कक्ष होने चाहिए।
2. रात्रेर साथी या महिला स्वयंसेवक रात में ड्यूटी पर रहेंगी।
3. सीसीटीवी निगरानी द्वारा पूर्ण कवरेज के साथ महिलाओं के लिए सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान और निर्माण किया जाएगा।
4. अलार्म उपकरणों के साथ एक विशेष मोबाइल फोन ऐप विकसित किया जाएगा जिसे सभी कामकाजी महिलाओं को अनिवार्य रूप से डाउनलोड करना होगा और जो स्थानीय पुलिस स्टेशनों/पुलिस नियंत्रण कक्ष से जुड़ा होगा।
5. किसी भी घबराने वाली/आपातकालीन स्थिति के दौरान हेल्पलाइन नंबर 100/112 का व्यापक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए।
6. मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों, सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों, जिला अस्पतालों में सुरक्षा जांच और ब्रीथलाइज़र टेस्ट किया जाएगा।
7. सभी संगठनों से कार्यस्थलों पर महिलाओं पर यौन उत्पीड़न पर विशाखा समिति का गठन करने को कहा जाएगा, यदि अभी ऐसा नहीं किया जाता है तो।
8. महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर सभी सरकारी प्रतिष्ठानों को कार्यक्रम चलाने के लिए कहा जाएगा। साथ ही निजी संगठनों से भी ऐसा करने का आग्रह किया जाएगा। यह कार्यक्रम सभी जिलों में चलाया जाएगा।
9. जोड़ियों में काम करना। संगठनों को कार्यक्रम तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि महिलाएं जोड़े या टीमों में काम करें और रात के दौरान एक-दूसरे की गतिविधियों को जान सकें।
10. निजी संस्थानों को भी रात्रेर साथी प्रोटोकॉल स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित कदम उठाने की भी बात कही गई है-:
(i) सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों, महिला छात्रावासों और ऐसे अन्य स्थानों पर रात में पुलिस गश्ती की जाएगी।
(ii) अस्पतालों आदि में सभी मंजिलों पर पर्याप्त पेयजल सुविधा होगी।
(iii) मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सभी डिपार्टमेंट, कर्मचारियों, सुरक्षा गार्ड आदि द्वारा पहचान पत्र प्रदर्शित होने चाहिए।
(iv) समग्र सुरक्षा पर्यवेक्षण के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों और जिला अस्पतालों में पुलिस द्वारा सुरक्षा अधिकारी तैनात किया जाएगा।
(v) महिला डॉक्टरों सहित महिलाओं के काम के घंटे एक समय में 12 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए।
(vi) जहां भी संभव हो, जहां तक संभव हो महिलाओं की रात्रि ड्यूटी से बचने को कहा गया है।
(vii) सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों, जिला मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में सुरक्षा में पुरुष और महिला गार्ड की संख्या मिश्रित होनी चाहिए।
क्यों हो रहा है विरोध?
महिलाओं को रात में ड्यूटी न लगाने के नियम को लेकर सबसे ज्यादा विरोध देखने को मिला है। कई लोग कह रहे हैं कि महिला रेजिडेंट्स और डॉक्टरों की रात्रि ड्यूटी हटाना समाधान नहीं है, पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करना समाधान है। लोगों का कहना है कि रात की ड्यूटी न होने से अवसरों की कमी के कारण महिला डॉक्टर कम सीख सकेंगी। वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि महिलाओं के काम के घंटों को सीमित करना और रात की ड्यूटी से बचना केवल महिलाओं के लिए अवसरों को कम करता है।
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