K. K. Venugopal: वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल तीन और महीनों के लिए अटॉर्नी जनरल के रूप में बने रहने के लिए सहमत हैं। उनका कार्यकाल 30 जून, 2022 को समाप्त हो रहा है। केंद्र सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल से भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में बने रहने का अनुरोध किया। उनका स्वीकृत कार्यकाल 30 जून, 2022 तक है। केंद्र सरकार के अनुरोध पर वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में बने रहने के लिए सहमत हुए। सूत्रों के अनुसार वेणुगोपाल उम्र के चलते एकबारगी इस पद से अलग होना चाहते थे। लेकिन यह भी कहा जा रहा था कि वर्तमान हालातों में सरकार के लिए वेणुगोपाल इस पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। इसके चलते सरकार एक बार फिर उन्हें ही इस पद पर बनाए रखना चाहेगी।
पिछले साल एक वर्ष के लिए बढ़ा कार्यकाल
पिछली साल केंद्र सरकार ने के. के. वेणुगोपाल को दूसरी बार सेवा विस्तार दिया था। केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया था। वेणुगोपाल को पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 15वें अटॉर्नी जनरल के रूप में एक जुलाई 2017 को तीन साल के लिए नियुक्त किया था। पिछले साल 30 जून को इनका कार्यकाल पूरा हो गया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने एक साल के लिए बढ़ा दिया था। इस साल 30 जून, 2022 को उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है, इस बीच खबर है कि वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल तीन और महीनों के लिए अटॉर्नी जनरल के रूप में बने रहने के लिए सहमत हैं।
2002 में मिला पद्म भूषण
गौरतलब है कि वेणुगोपाल इससे पहले 1977 से 1979 तक जब देश में मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार थी, तब देश के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। वेणुगोपाल को साल 2002 में भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
क्या होता है अटॉर्नी जनरल का पद?
अटॉर्नी जनरल केंद्र सरकार के लिए देश के सबसे शीर्ष कानून अधिकारी और मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं। जो सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण मामलों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। अटॉर्नी जनरल सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है।
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