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Hindi News भारत राष्ट्रीय Kedarnath Dham : वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खुल गए केदारनाथ धाम के कपाट, दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु

Kedarnath Dham : वैदिक मंत्रोच्चार के साथ खुल गए केदारनाथ धाम के कपाट, दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु

सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केदारनाथ मंदिर के कपाट खुल गए।

Kedarnath Dham- India TV Hindi Image Source : ANI Kedarnath Dham

Highlights

  • छह महीने सामधि में रहते हैं बाबा केदारनाथ
  • केदारनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया
  • उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने भी पूजा की

Kedarnath Dham :  केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट आज सुबह वैदिक मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धालुओं के लिए खुल गए। शीतकाल में छह माह बंद रहने के बाद कपाट खुलने के मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) भी इस अवसर पर मौजूद थे। कपाट खुलने के मौके पर मंदिर की आकर्षक सजावट की गई । जानकारी के मुताबिक केदारनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। 

हजारों की तादाद में श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंचे

इस पावन मौके का साक्षी बनने के लिए कल से ही हजारों की तादाद में श्रद्धालु केदारनाथ धाम पहुंच गए थे। सुबह 6 बजकर 25 मिनट पर वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा केदारनाथ परिसर गूंज उठा। मंत्रोच्चार के बीच रावल (मुख्य पुजारी) ने बाबा केदारनाथ की डोली लेकर मंदिर में प्रवेश किया। 

छह महीने सामधि में रहते हैं बाबा केदारनाथ

ऐसी मान्यता है कि बाबा केदारनाथ जगत के कल्याण के लिए छह महीने सामधि में रहते हैं और कपाट खुलने के साथ ही बाबा समाधि से जागते हैं और भक्तों को अपना दर्शन देते हैं।
 

सर्दियों में छह महीने के लिए बंद होता है कपाट

आपको बता दें कि केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है।  सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सभी चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल दोबारा अप्रैल-मई में खोले जाते हैं । गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पहले ही खुल चुके हैं जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 8 मई को खुलेंगे।

आदिगुरु शंकराचार्य ने कराया था मंदिर का निर्माण

केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। महाभारत काल में यहां भगवान शंकर ने पांडवों को बेल के रूप में दर्शन दिया था। इस मंदिर का निर्माण 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने कराया था। 

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