Kathua Rape Case: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में साल 2018 के दौरान बच्ची से रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि एक आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलेगा। शीर्ष कोर्ट ने आरोपी को घटना के वक्त जुवेनाइल मानने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उस पर नाबालिग अपराधी के तौर पर मुकदमा नहीं चलना चाहिए। इस आदेश के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया।
निचली अदालत और हाई कोर्ट का आदेश किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुवेनाइल तय करने के लिए दस्तावेजों के अभाव में न्याय के हित में मेडिकल राय पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ वयस्क के तौर पर ही ट्रायल चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जुवेनाइल होने के निचली अदालत के आदेश को रद्द किया। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी आरोपी की उम्र तय करने के लिए अगर कोई पुख्ता सबूत नहीं है, तो ऐसी स्थिति में मेडिकल राय को ही सही तरीका माना जाएगा।
जुवेनाइल कोर्ट में चल रही सुनवाई पर लगी थी रोक
इससे पहले कठुआ केस में 7 फरवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के जुवेनाइल कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी। जुवेनाइल कानून के तहत सुनवाई पर रोक लगाई गई थी। जम्मू-कश्मीर सरकार की अपील पर कोर्ट ने ये कदम उठाते हुए नोटिस जारी किया था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की थी।
8 वर्षीय बच्ची की किडनैपिंग, गैंग रेप-हत्या का आरोप
हाईकोर्ट ने आरोपी को जुवेनाइल माना था। इससे पहले स्थानीय कोर्ट ने भी आरोपी को जुवेनाइल ही माना था। जम्मू कश्मीर सरकार ने नगरपालिका और स्कूल रिकॉर्ड के बीच अंतर का हवाला दिया था। बता दें कि कठुआ में जनवरी 2018 में 6 लोगों पर 8 साल की बच्ची की किडनैपिंग, गैंग रेप और हत्या का आरोप है।
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