बेंगलुरु: कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कई वर्षों से चला आ रहा कावेरी नदी जल विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। इस विवाद की वजह से दोनों राज्यों की आम जनता को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पिछले दिनों कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि वह अगले 15 दिनों तक तमिलनाडु को 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़े। इसके बाद कर्नाटक सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन वहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली। कोर्ट के आदेश के बाद राज्यभर में प्रदर्शन शुरू हो गए।
अब इसी बीच कन्नडा ओकुट्टा ने शुक्रवार को कर्नाटक बंद का आह्वान किया है। हालांकि इससे पहले एक अन्य संगठन ने मंगलवार 26 सितंबर को देश के आईटी हब बेंगलुरु में बंद का आह्वान किया था। इस बंद को शहर के कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया था। लेकिन जब ओकुटा ने शुक्रवार को राज्य बंद का ऐलान किया तो तमाम एसोसिएशनों मंगलवार को बेंगलुरु बंद से अपना समर्थन वापस ले लिया।
कन्नडा ओकुट्टा कन्नड़ अधिकारों की लड़ाई के लिए जाना जाता है
बता दें कि कन्नडा ओकुट्टा कन्नड़ अधिकारों की लड़ाई के लिए जाना जाता है। इसमें प्रदेशभर के लगभग 90 संगठन आते हैं। यह बेहद ही बड़ा और प्रभावशाली गुट माना जाता है। इस बंद को लेकर आज एक बैठक हुई, जिसमें वटल नागराज के द्वारा 29 सितंबर को टाउन हॉल से फ्रीडम पार्क तक विरोध मार्च की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने राज्य भर में शुक्रवार को बुलाए गए बंद के लिए ट्रांसपोर्ट यूनियनों, फिल्म चैंबर, मॉल मालिकों और स्कूल और कॉलेज यूनियनों से भी समर्थन मांगा है। वहीं इसी बीच बंद को लेकर असमंजस की स्थिति के चलते ओला, उबर ड्राइवर्स एंड ओनर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को बुलाए गए बंद को दिया अपना समर्थन वापस ले लिया है। ऐसे में मंगलवार को प्रस्तावित बेंगलुरू बंद का असर मिला जुला रहने वाला है।
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