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Karnataka Schools: कर्नाटक में क्लस्टर बने अभिभावकों की चिंता का सबब, स्कूलों को बंद करने की मांग

कर्नाटक में नवंबर से स्कूल खुलने के बाद से अब तक पहली से दसवीं क्लास में पढ़ने वाले 120 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं।

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Highlights

  • कर्नाटक में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच बढ़ रहे कोरोना के मामले
  • अभिभावकों की चिंता बढ़ी, स्कूल बंद करने की मांग उठाई
  • नवंबर में फिर से खुले थे स्कूल

चिकमंगलूर (कर्नाटक): देश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ता जा रहा है। कर्नाटक में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच बढ़ रहे कोरोना के मामलों ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। कर्नाटक में नवंबर से स्कूल खुलने के बाद से अब तक पहली से दसवीं क्लास में पढ़ने वाले 120 बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। चिंता की बात ये है कि ये सभी मामले क्लस्टर्स में आ रहे हैं। ताजा मामला चिकमंगलूर जिले का है, यहां केंद्र सरकार के अधीन चलने वाले एक स्कूल में 100 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं, इनमें से 94 छात्र हैं।

इससे पहले बेंगलुरु, मैसूरु और शिवमोग्गा जिले में भी क्लस्टर्स में कोविड-19 के केस मिले हैं। अभिभावकों की चिंता ये है कि अभी तक बच्चों की वैक्सीन नहीं बनी है, अगर ऐसे ही केस बढ़ते रहे तो बच्चों पर खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के लिए कुछ एहतियाती कदम उठाए हैं। स्कूलों में लगातार रैंडम कोविड टेस्ट किया जा रहा है ताकि संक्रमण का समय पर पता लगाते हुए उसे फैलने से रोका जा सके।

इसके अलावा यह तय किया गया है कि वही बच्चे स्कूल जा सकते हैं, जिनके अभिभावकों को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुकी हों। हालांकि, सरकार का कहना है कि फिलहाल अभिभावकों को पैनिक होने की जरूरत नहीं है। बड़ी मुश्किल से डेढ़ साल बाद स्कूल खुले हैं, अगर फिर से बंद हो गए तो दोबारा खुलने मुश्किल हो जाएंगे। हालांकि, शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा है कि अगर हालात ज्यादा खराब हुए तो उस स्तिथि में स्कूल को बंद भी किया जा सकता है।

अभिभावकों को मिलाकर बनी समन्वय समिति का कहना है कि बच्चों को खतरे में डालने का कोई मतलब नहीं है। सरकार को तुरंत स्कूल दोबारा बंद कर देने चाहिए।

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