बेंगलुरु: पाकिस्तानी पिता और भारतीय मां से पैदा हुए और कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में रहने वाले 2 नाबालिगों को कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली कर्नाटक हाई कोर्ट की बेंच ने बच्चों के लिए भारतीय नागरिकता की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। पाकिस्तान की नागरिकता को छोड़ने के लिए 21 साल की आयु प्राप्त करने का कानून 2 नाबालिगों के लिए भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में बाधा बन गया है। ये दोनों बच्चे अभी बेंगलुरु में अपनी अलग हुई मां के साथ रह रहे हैं।
2021 में अमीना ने बेंगलुरु लौटने का फैसला किया
इस मामले में कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2002 में बेंगलुरु की अमीना रहील ने पाकिस्तानी नागरिक असद मलिक से दुबई में शादी की थी, जहां वह बस गए थे। हालांकि, 2014 में दुबई की अदालत में दोनों का तलाक हो गया और दोनों बच्चों की कस्टडी अमीना को मिल गई। 2021 में अमीना ने 17 और 14 साल की उम्र के अपने 2 बच्चों के साथ बेंगलुरु में अपनी मां के घर लौटने का फैसला किया। हालांकि अमीना भारतीय नागरिक हैं, लेकिन उनके बच्चे पाकिस्तानी नागरिक हैं क्योंकि उनके पिता पाकिस्तान से हैं।
दूतावास ने मानवीय आधार पर जारी किया पासपोर्ट
अमीना ने अपने बच्चों को भारत लाने के लिए कानूनी बाधाओं का सामना करने के बाद दुबई में भारतीय दूतावास से संपर्क किया था। दूतावास ने मानवीय आधार पर पुराने पासपोर्ट पाकिस्तानी दूतावास में जमा करने के बाद बच्चों को अस्थायी पासपोर्ट दिए थे। अस्थायी पासपोर्ट की मियाद खत्म होने के बाद अब बच्चों को भारत की नागरिकता लेना जरूरी हो गया है। अमीना और उनके परिवार ने अस्थायी पासपोर्ट के विस्तार की मांग करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को आवेदन दिया था, लेकिन अब हाई कोर्ट के फैसले ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। (IANS)
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