Karnataka HighCourt Comment: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के कामकाज की कड़ी आलोचना करते हुए पूछा कि क्या यह ‘‘उगाही केंद्र ’’ बन गया है। अदालत ने बुधवार को ACB के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को एक ‘दागी अधिकारी’ बताया और कहा कि यदि उन्हें बचाया जा रहा है तो वह उन्हें तलब करेगी। अदालत ने ACB को 2016 के बाद से उन सभी मामलों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया, जिनमें उसने वरिष्ठ नौकरशाहों से जुड़े मामलों में ‘बी रिपोर्ट’ दायर की है। ‘बी रिपोर्ट’ का अर्थ है रद्द करने की रिपोर्ट, यानी पुलिस को किसी व्यक्ति के खिलाफ चार्जशीट दायर करने और उसके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है।
मैं यहां आंख बंद करने के लिए नहीं बैठा हूं- न्यायमूर्ति संदेश
न्यायमूर्ति एच.पी.संदेश ने कहा कि दागी रिकॉर्ड वाले अधिकारियों को एसीबी का प्रमुख बनाया जा रहा है। कितने मामलों में एसीबी ने ‘बी रिपोर्ट’ दाखिल की है, इसका विवरण दिया जाए। मैं यहां आंखें बंद करने के लिए नहीं बैठा हूं। सुनवाई तीन जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई है। अदालत बेंगलुरु शहर के उपायुक्त कार्यालय में एक उप तहसीलदार पी.एस. महेश की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
ACB चला रही रैकेट- न्यायमूर्ति संदेश
महेश रिश्वत मामले में आरोपी है, जिसने 38 ‘गुंठा’ भूमि के संबंध में अनुकूल आदेश पारित करने के लिए अनेकल निवासी एक व्यक्ति से कथित तौर पर पांच लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। न्यायमूर्ति संदेश ने पूछा कि मुझे जानकारी चाहिए। ACB द्वारा कितने आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है? यह ACB द्वारा संचालित एक रैकेट है। इनमें से कितने नौकरशाहों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है? क्या यह कोई उगाही केंद्र है।’
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