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Hindi News भारत राष्ट्रीय Kargil Vijay Diwas Exclusive: "हमें बदला चाहिए था, मुझे लगी थी गोली", टाइगर हिल के हीरो कर्नल बलवान सिंह ने सुनाया किस्सा

Kargil Vijay Diwas Exclusive: "हमें बदला चाहिए था, मुझे लगी थी गोली", टाइगर हिल के हीरो कर्नल बलवान सिंह ने सुनाया किस्सा

कारगिल की लड़ाई के हीरो कर्नल बलवान सिंह ने कारगिल की लड़ाई के दिलचस्प किस्सों को शेयर किया। उन्होंने बताया कि तोलोलिंग पर मिली जीत के बाद कारगिल की लड़ाई कितनी अहम थी। उन्होंने बताया कि तोलोलिंग की लड़ाई 24 दिन तक लड़ी।

Kargil Vijay Diwas We wanted revenge I was shot Tiger Hill hero Colonel Balwan Singh narrated the st- India TV Hindi Image Source : INDIA TV टाइगर हिल के हीरो कर्नल बलवान सिंह ने सुनाया किस्सा

भारत हर साल 26 जुलाई की तारीख को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन बेहद खास है। इस दिन कारगिल की पहाड़ियों पर भारतीय सेना का पराक्रम पूरी दुनिया ने देखा था। साथ ही पाकिस्तान ने देखा भारत के वीर सपूतों को, जिन्होंने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। देश इस साल कारगिल विजय के 25 साल पूरा होने पर रजय जयंती मना रहा है। कारगिल विजय दिवस के मौके पर युद्ध में हिस्सा लेने वाले कर्नल बलवान सिंह ने इस युद्ध से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से शेयर किए। बता दें कि कर्नल बलवान सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। कारगिल की लड़ाई से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से को उन्होंने शेयर किया। 

कर्नल बलवान सिंह ने कारगिल लड़ाई को किया याद

कर्नल बलवान सिंह ने कहा कि हमे जब खबर लगी कि कुछ मुजाहिद्दीन द्रास की चोटियों पर आकर बैठे हैं तो हमें उन्हें खदेड़ने का आदेश था। मुजाहिद्दीन तोलोलिंग और टाइगर हिल की चोटियों पर बैठे थे। हमारी मोमेंट मानसबल से हुई और सोनामर्ग से द्रास पहुंचे। 15 मई को हमारी मोमेंट शुरू हुई। मैं मार्च 6 को कमीशन हुआ था। मुझे सर्विस करते हुए मात्र 3 महीने ही हुए थे। 18 ग्रेनेडियर्स में 48 चेन्नई से कमीशन प्राप्त करके मैंने ज्वाइन किया। हम जब द्रास पहुंचे तो दुश्मन की शेलिंग हो रही थी, जो कि नेशनल हाईवे पर हो रही थी। हमने मतैन में हेडक्वार्टर और कंपनी को स्थापित किया। इसके बाद 24 दिन तक हमने तोलोलिंग की लड़ाई लड़ी।

तोलोलिंग के बाद मिला टाइगर हिल का जिम्मा

कर्नल बलवान सिंह ने कहा कि तोलोलिंग पर जीत हासिल करने के बाद हमें काफी नुकसान हुआ। 2 अफसर, 2 जेसीओ और 25 अन्य रैंक के जवान शहीद हुए थे। उसके बाद हमें टाइगर हिल को जीतने का आदेश मिला। टाइगर हिल 7500 फीट ऊंचा है और वहां कवर उपलब्ध नहीं है। यानि निर्जन पहाड़ हैं, जहां तापमान हमेशा माइनस में बना रहता है। उन्होंने कहा कि जब हमने हमला किया तो मौसम बहुत खराब था। उस समय हमें केवल दुश्मन से नहीं बल्कि मौसम से भी लड़ना था। जहां दुश्मन बैठा था, वहां तक पहुंचने में हमें 12 घंटे लगे। हमने पहाड़ों से जुड़े उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए हमने टाइगर हिल के पीछे से चढ़ाई चढ़ी और टॉप पर एक फुट होल्ड बनाया। दुश्मन के साथ यहां हमारी हैंड टू हैंड फाइट हुई, जिसमें हमारे 6 जवान शहीद हुए और 6 घायल हुए।

कर्नल को भी लगी गोली

उन्होंने बताया कि मैं भी घायल हुआ, एक गोली मेरे हाथ और एक गोली मेरे पैर में लगी। जोगेंद्र यादव को 10-12 गोलियां हाथ में लगी। उनकी राइफल हाथ से गिर गई थी। उन्होंने दुश्मन के राइफल को उठाया और फायरिंग शुरू की। इस दौरान हमने 25 पाकिस्तानी सेना के जवानों को मार भगाया और कारगिल की चोटी पर झंडा फहराया। उनकी संख्या काफी थी, हमने फुटहोल्ड तो बना लिया लेकिन टाइगर हिल पर स्टीप चढ़ाई थी। हम लटके हुए थे इस दौरान। उन्होंने कहा कि हमारे पास पहाड़ों से जुड़े उपकरण थे। हमारे पास रस्सियां थीं, जिनके सहारे हम उपर तक चढ़े थे।

भारतीय जवानों को चाहिए था बदला

उन्होंने कहा कि जीत के बाद हमने रेडियो पर बात कर रहे थे। टाइगर हिल पर जब हम फुटहोल्ड बनाया तो मीडिया में आ गया था कि हमने टाइगर हिल पर कब्जा बना लिया है। हमें टास्क मिला था कि कारगिल को कैप्चर करना है। तोलोलिंग से जो हमने सीखा उसी के आधार पर टाइगर हिल पर हमने झंडा फहराया। टाइगर हिल को कब्जा करना बहुत ही जरूरी थी। हमारी ट्रेनिंग में पढ़ाया जाता है कि भारतीय सेना, हमारी और रेजिमेंट की इज्जत, देश सर्वोपरि है। देश कारगिल को जीतना चाहता है, इस कारण हमारा मनोबल बढ़ा हुआ था। हमारे जवानों को बदला चाहिए था। 

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