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Hindi News भारत राष्ट्रीय कनपटी पर हथौड़ा मारकर ली थी 70 लोगों की जान, जानें कौन था भारत का सबसे खतरनाक सीरियल किलर

कनपटी पर हथौड़ा मारकर ली थी 70 लोगों की जान, जानें कौन था भारत का सबसे खतरनाक सीरियल किलर

दुनिया में एक से बढ़कर एक खूंखार सीरियल किलर हुए हैं, लेकिन भारत के कनपटीमार शंकरिया ने जो दहशत फैलाई थी, वैसी दहशत फैलाने में कम ही लोग कामयाब हो पाए हैं।

Kampatimar Shankariya, Kampatimar Shankariya Story- India TV Hindi Image Source : AI REPRESENTATIONAL कनपटीमार शंकरिया को दुनिया के सबसे खतरनाक सीरियल किलर्स में गिना जाता है।

नई दिल्ली: भारत में एक ऐसा सीरियल किलर हुआ है जिसने सिर्फ मजे के लिए 70 लोगों की जान ले ली। वह शख्स लोगों की कनपटी पर हथौड़े से वार करता था और उसके शिकार के प्राण-पखेरू उड़ जाते थे। हथौड़े से लोगों की कनपटी पर हमला करके उनकी जान लेने के इसी कुकृत्य के चलते उस शख्स का नाम ‘कनपटीमार शंकरिया’ पड़ गया था, जबकि उसके माता-पिता ने उसका नाम शंकर रखा था। ‘कनपटीमार शंकरिया’ आजाद भारत के इतिहास का सबसे दुर्दांत सीरियल किलर है और दुनिया के सबसे खतरनाक हत्यारों में भी शामिल है।

जयपुर में हुआ था ‘कनपटीमार’ का जन्म

कनपटीमार शंकरिया का जन्म 1952 में राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुआ था। उसकी शुरुआती जिंदगी के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है। शंकरिया के बारे में लोगों को 1970 के दशक में तब मालूम चलना शुरू हुआ जब राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में लोगों की लाशें मिली जिनकी कनपटी पर चोट लगी होती थी। 70 के दशक में एक बड़े इलाके में कनपटी पर हथौड़ी मारकर जान लेने वाले हत्यारे का खौफ फैल गया था। बताया जाता है कि वह कंबल ओढ़कर बैठा रहता था और अपने शिकार पर अचानक ही हमला कर देता था। कुछ ही महीनों के अंदर शंकरिया ने 70 लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

‘सिर्फ मजे के लिए लेता था लोगों की जान’

कनपटीमार शंकरिया को आखिरकार पकड़ लिया गया और पूछताछ में जो पता चला उसने सभी को हैरान कर दिया। कनपटीमार शंकरिया ने कहा था कि उसने सिर्फ मजे के लिए लोगों की जान ली। 1979 में सीरियल किलर कनपटीमार शंकरिया पर 70 लोगों के कत्ल के आरोप साबित हो गए। उसे जयपुर में 16 मई 1979 को फांसी पर लटका दिया गया। हालांकि फांसी के फंदे पर लटकने से पहले शंकरिया को अपनी हैवानियत पर पछतावा हो रहा था। फांसी लगाए जाने से पहले उसके अंतिम शब्द थे, 'मैंने बेवजह लोगों की जान ली। किसी को भी मेरी तरह नहीं बनना चाहिए।'

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