झारखंड में एक बार फिर बिजली संकट पैदा हो गया है। पिछले तीन दिनों से राज्य को डिमांड के मुताबिक बिजली नहीं मिल पा रही है। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग जैसे शहरों में हर रोज सात से 12 घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है। गांवों का हाल तो और बुरा है। ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में पांच से सात घंटे ही बिजली मिल रही है।
राज्य सरकार ने नहीं किया है बिजली उपक्रमों का भुगतान
राज्य में प्रतिदिन 25 से 26 सौ मेगावाट बिजली की मांग है, लेकिन इसकी तुलना में लगभग पांच सौ मेगावाट बिजली कम मिल रही है। कम बिजली मिलने की सबसे बड़ी वजह है केंद्रीय उपक्रमों का झारखंड के ऊपर बड़ी रकम का बकाया होना। डीवीसी का राज्य सरकार पर ढाई हजार करोड़ से अधिक का बकाया है। इसी साल जून महीने से लागू हुए केंद्र सरकार के नए नियमों के मुताबिक 45 दिनों की निर्धारित समय सीमा के भीतर बिजली उत्पादक कंपनियों को भुगतान न किए जाने पर राज्य सेंट्रल पूल से अतिरिक्त बिजली नहीं ले पाएंगे। इधर रांची के सिकिदिरी स्थित हाइडल पावर प्लांट से भी उत्पादन प्राय: ठप पड़ गया है।
बिजली कटौती से हर कोई परेशान
सिर्फ रांची की बात करें तो सामान्य दिनों में जहां राजधानी में 270 मेगावाट बिजली सप्लाई होती थी, अब 240-250 मेगावाट ही बिजली मिल रही है। रांची के ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य दिनों में जहां 130 से 140 मेगावाट बिजली सप्लाई होती थी, अब 100 से 110 मेगावाट ही मात्र बिजली सप्लाई हो रही है। कम बिजली मिलने से उद्यमी, व्यवसायी सबसे ज्यादा परेशान हैं। झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बिजली कटौती पर गहरी चिंता जाहिर की है।
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