Jharkhand Illegal Mining: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को कहा कि उसने झारखंड में अवैध खनन से जुड़े धन शोधन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के राजनीतिक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और अन्य के बैंक खातों में जमा 11.88 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है। ED ने यह कार्रवाई आठ जुलाई को राज्य के साहिबगंज, बरहेट, राजमहल, मिर्जा चौकी और बरहरवा में कम से कम 19 जगहों पर छापेमारी के बाद की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उस वक्त कई दस्तावेज और 5.34 करोड़ रुपये की बिना हिसाब की नकदी जब्त की थी।
अवैध खनन से कामाए गए 100 करोड़ रुपये का भी पता चला
इस मामले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के राजनीतिक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा के बैंक खाते में जमा धन को भी जब्त किया गया है। ईडी ने एक बयान में कहा, "पंकज मिश्रा, दाहू यादव और उनके सहयोगियों के 37 बैंक खातों में जमा 11.88 करोड़ रुपये की नकदी अवैध खनन मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जब्त की गई है।" बयान में कहा गया कि अवैध रूप से संचालित किए जा रहे पांच स्टोन क्रशर और इतनी ही संख्या में फायरआर्म्स के कारतूस भी जब्त किए गए।
ईडी ने कहा, "अलग-अलग व्यक्तियों के बयान, डिजिटल सबूत और दस्तावेजों सहित जांच के दौरान इकट्ठा किए गए सबूतों से पता चला है कि जब्त की गई नकदी/बैंक बैलेंस वन क्षेत्र सहित साहिबगंज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किए जा रहे अवैध खनन से प्राप्त हुआ।" ईडी ने कहा कि इन छापों के दौरान कथित अवैध खनन से अर्जित 100 करोड़ रुपये की आय का भी पता चला।
खनन सचिव रहीं IAS पूजा सिंघल को किया था गिरफ्तार
प्रवर्तन निदेशालय ने मई में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की अधिकारी पूजा सिंघल, उनके कारोबारी पति और अन्य के खिलाफ धन शोधन को लेकर चल रही जांच के तहत छापा मारा था। झारखंड के खनन सचिव का प्रभार संभाल रहीं सिंघल को ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। सिंघल और उनके पति से जुड़े एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) सुमन कुमार को भी एजेंसी ने गिरफ्तार किया था और तब कुल 19.76 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी।
ईडी ने सिंघल और अन्य के खिलाफ इस महीने रांची की विशेष पीएमएलए अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने कहा, "जांच के दौरान इकट्ठा किए गए सबूत (सिंघल और अन्य के खिलाफ) से पता चला है कि जब्त नकदी का बड़ा हिस्सा अवैध खनन से प्राप्त किया गया था और यह वरिष्ठ नौकरशाहों और नेताओं का था।"
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