Jharkhand Politics: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज शनिवार को रांची में दो टूक कहा कि यदि वह सजा के पात्र हैं, तो कैसे इतने दिनों से संवैधानिक पद पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि यदि वह सही में खनन पट्टा आवंटन मामले में अपराधी हैं, तो उन्हें सजा दी जाए। सोरेन ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा संभवतः पहली बार है कि अपराधी बार-बार पूछ रहा है कि उसने क्या अपराध किया है, और यदि अपराध किया है, तो उसकी सजा बता दें, लेकिन उन्हें उनका अपराध न बताकर ही एक तरह से दंडित किया जा रहा है।
CM का आरोप, उनकी सरकार के खिलाफ साजिश हो रही
मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि उनकी सरकार के खिलाफ साजिश की जा रही है। सोरेन ने कहा, "मेरे मामले में तो विचित्र स्थिति है। अपराधी ही बार-बार कह रहा है कि बता दें, हमारा अपराध क्या है? मुझे मेरे किए की सजा बता दें। इसके लिए मैं स्वयं महामहिम राज्यपाल से मिला। मेरी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल महामहिम से मिला, लेकिन मुझे मेरा अपराध ही नहीं बताया जा रहा है।"
आज जो स्थिति है, मेरे लिए सजा से कम नहीं है: सीएम सोरेन
उन्होंने पूछा, "यदि मैं सजा का पात्र हूं, तो इतने दिनों से संवैधानिक पदों पर कैसे बैठा हूं। इसकी जिम्मेदारी किसकी है।" मुख्यमंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि मुझे मेरा अपराध या उसकी सजा न बताकर एक तरह से सजा दी जा रही है। आज जो स्थिति है, मेरे लिए सजा से कम नहीं है।" उन्होंने कहा कि विपक्ष नैतिकता के बड़े-बड़े सवाल उठा रहा है, लेकिन उसे स्वयं इस मामले में अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
राज्य में सबकुछ सामान्य, यह एक कृत्रिम बवंडर है: हेमंत सोरेन
झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, "मुझे लगता है कि ऐसी कोई अस्थिरता नहीं है। राज्य में सबकुछ सामान्य है। यह एक कृत्रिम बवंडर है।" उन्होंने कहा, "मैं कहना चाहता हूं कि यह भारत में पहली ऐसी घटना है, जिसमें मुख्यमंत्री चुनाव आयोग और राज्यपाल के दरवाजे पर जाते हैं और हाथ जोड़कर पूछते हैं कि उनकी सजा क्या होनी चाहिए?"
यह माहौल हमारी ओर से नहीं, प्रतिद्वंद्वियों द्वारा बनाया गया है: CM
सोरेन ने कहा, "यह माहौल हमारी ओर से नहीं बनाया गया है। यह हमारे प्रतिद्वंद्वियों की ओर से बनाया गया है। क्या आपने कभी किसी अपराधी को सजा की मांग करते देखा है। अगर मैं अपराधी हूं, तो मुझे सजा दी जाए।" मुख्यमंत्री ने यह बातें उस सीलबंद लिफाफे के संदर्भ में कहीं जो चुनाव आयोग की तरफ से झारखंड के राज्यपाल को भेजा गया था, लेकिन अब तक राज्यपाल ने उसके बारे में कोई बात उजागर नहीं की है।
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