Jharkhand AK47 Story: पुलिस के पास हथियार रखने के लिए क्या है नियम, छोटी सी गलती पड़ती है भारी
Hemant Soren: प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार 24 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री के करीबी बिजनेसमैन ओम प्रकाश के घर पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी अवैध खनन को लेकर हुई थी।
Highlights
- ईडी ने एके-47 को जब्त की
- दोनों कांस्टेबल की लापरवाही के वजह से झारखंड पुलिस ने सस्पेंड कर दिया है
- इन हथियारों की एंट्री रजिस्टर में की जाती है
Hemant Soren: प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार 24 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री के करीबी बिजनेसमैन ओम प्रकाश के घर पर छापेमारी की थी। यह छापेमारी अवैध खनन को लेकर हुई थी। इस कार्रवाई के दौरान व्यापारी ओमप्रकाश के घर से रायफल भी बरामद हुआ था, जिसके बाद मामला और तूल पकड़ लिया। ओमप्रकाश के अलमारी से Ak-47 बरामद बरामद हुई थी। ईडी ने एके-47 को जब्त कर लिया। हालांकि इसके बाद इस कहानी में एक नई मोड़ आ गई। झारखंड पुलिस ने बताया कि यह राइफल ओमप्रकाश की नहीं है, यह झारखंड पुलिस के दो कर्मी की है। झारखंड पुलिस के 2 कांस्टेबल ने लिखित में बताया कि ओम प्रकाश के घर जो हथियार बरामद हुआ है, वो मेरा है। दोनों कॉन्स्टेबल ने बताया कि हम ओम प्रकाश के घर गए हुए थे उसी दौरान तेज बारिश होने लगी, जिसके कारण उनके घर पर ही हमें बंदूक को छोड़ना पड़ा। हमने राइफल को अलमारी में रख दिया। और उस अलमारी की चाबी भी हमारे पास है। दोनों कांस्टेबल की लापरवाही के वजह से झारखंड पुलिस ने सस्पेंड कर दिया है। वही इस संबंध में अभी तक ईडी के तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। आज हम जानेंगे कि पुलिस अपने सर्विस वाली हथियार को लेकर कितना जवाबदेह होते हैं।
क्या है कानून?
देश में सभी राज्यों के कानून व्यवस्था में लगभग-लगभग का अंतर होता है। हालांकि ऐसे कई नियम होते हैं जो बराबर भी होते हैं। झारखंड पुलिस मैनुअल के मुताबिक हथियारों की जवाबदेही जिला के पुलिस अधीक्षक की होती है। एसपी जिले में हथियारों के वितरण को लेकर एक्टिव रहते हैं, उनके निर्देशों के अनुसार ही जिले में कार्यरत पुलिसकर्मियों को हथियार मुहैया कराया जाता है। अगर किसी प्रकार की इन प्रोसेस में कोई गड़बड़ी होती है तो वह उस रेंज के डीआईजी को सूचित करते हैं।
जिन्हें हथियार मुहैया कराया जाता है उनकी क्या होती है जिम्मेदारी?
जिले के जिन अधिकारियों को हथियार सौंपा जाते हैं उनकी तब तक जिम्मेदारी होती है जब तक वह हथियार वापस ना कर दें। हर साल के शुरुआती महीने जनवरी में सभी हथियारों को पुलिस अधीक्षक के सामने पेश करना होता है। और बकायदा इन हथियारों की एंट्री रजिस्टर में की जाती है। इसके साथ ही साथ हथियारों को साफ करवाना अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है। अगर अधिकारियों के पास रखे हुए गोलियों का इस्तेमाल नहीं होता है तो वह पुलिस लाइन में जमा कर देते हैं, जहां पर रिजर्व इंस्पेक्टर उन हथियारों और गोलियों का रखरखाव करते हैं। जब कोई हथियार या गोली निचले स्तर पर पुलिस कर्मियों को मुहैया कराया जाता है और बाद में जब वापसी की जाती है तो रिजर्व पुलिस इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी होती है कि वह सही से इन हथियारों की काउंटिंग करें। इस दौरान अगर कोई गड़बड़ी होती है तो वह पुलिस अधीक्षक को सूचित करते हैं।
हथियारों की रखरखाव में अगर गड़बड़ी हुई तो?
हर महीने पुलिस अधीक्षक के द्वारा हथियारों वाली रजिस्टर को व्यक्तिगत रूप से जांच करना होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिन्हें भी हथियार दिया गया है, उसे नियम के अनुसार दिया गया है। झारखंड पुलिस मैनुअल के मुताबिक अगर किसी पुलिस अधिकारी के द्वारा हथियारों का खो जाना या चोरी हो जाना एक बड़ी लापरवाही मानी जाती है। जब इस तरह के मामले प्रकाश में आते हैं तो तुरंत उस अधिकारी को सूचना देना होता है। इसके बाद एक कमेटी बनाई जाती है, जो एक रिपोर्ट तैयार करके उस रेंज के डीआईजी को सौंप दी है। जिस पुलिसकर्मी के द्वारा हथियार गुम होता है, उसे हर्जाना भरना होता है। वहीं अगर किसी पुलिसकर्मी की रिटायरमेंट होती है तो उसे हथियार सौंपकर जाना होता है।