Jammu Kashmir News: पूरी दुनिया में महशूर कश्मीरी सेब बागों में पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं। हार्वेस्टिंग का काम भी बड़े ज़ोर-शोर से चल रहा है, लेकिन अच्छी पैदावार के बावजूद बाजार में सेब के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है बिना टैक्स के ईरान के सेब का देश में आना और दूसरा बांग्लादेश का इम्पोर्ट टैक्स में इजाफा करना।
सेब की एक पेटी में 700 से 800 रुपये की लागत
कश्मीर में करीब 45 लाख लोग सेब के कारोबार से जुड़े हैं। हर साल कश्मीर से 12 से 13 हजार मीट्रिक टन सेब देश के अलग-अलग मंडियों में पहुंचता है, लेकिन इस बार ईरान से बिना टैक्स के पहुंचने वाले सेबों के कारण कश्मीर के लाल और रसीले सेब कश्मीर की मंडियों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि इस साल सेब में अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। एक सेब की पेटी जिसमें करीब 700 से 800 रुपयों की लागत लग जाती है, वहीं उसकी कीमत बाजार में बेहद कम मिलती है, जिस के कारण हमारा माल बिक नहीं पा रहा है।
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सेब के कारोबार करने वाले व्यापारियों की इस चिंता को देखकर सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं। इसके तहत यह ध्यान दिया जा रहा है कि कश्मीर का सेब देश की हर मंडी तक पहुंचे, दूसरा व्यापारियों को अच्छे दाम मिले, इसके प्रयास शुरू किए गए हैं।
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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सेब व्यापारियों को हर मुमकिन मदद देने का भरोसा दिलाया है। डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर जीआर मीर ने यहां के सेब व्यापारियों से सेब की क्वालिटी को बढ़ाने पर जोर दिया, ताकि दूसरे देशों से इम्पोर्ट हुए सेबों में कश्मीरी सेब बेहतर रसीले और ज्यादा किफायती हों।
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