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Hindi News भारत राष्ट्रीय Jammu-Kashmir News: एक लंबे अरसे बाद कठुआ में फिर शुरू हुआ खेती का दौर, 22 साल से बेकार पड़ी थी जमीन

Jammu-Kashmir News: एक लंबे अरसे बाद कठुआ में फिर शुरू हुआ खेती का दौर, 22 साल से बेकार पड़ी थी जमीन

Jammu-Kashmir News: कठुआ में 22 वर्षों से बेकार पड़ी जमीन पर शुक्रवार को खेती संबंधी गतिविधियां फिर से शुरू कर दीं। अधिकारियों ने बताया कि BSF और प्रशासन की मदद से इसको फिर से शुरू किया गया है।

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Highlights

  • BSF और प्रशासन की मदद से कृषि संबंधी गतिविधियों को फिर से शुरू किया गया
  • 22 गांवों में फैली सीमा के पास हजारों एकड़ जमीन पिछले 22 वर्षों से बेकार पड़ी है
  • हम चाहते हैं कि कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में खेती हो: डिप्टी कमिश्नर

Jammu-Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) की जीरो लाइन पर किसानों ने एक लंबे अरसे बाद खेती संबंधी गतिविधि की। अधिकारियों ने बताया कि यहां पर इन लोगों ने लगभग दो दशकों के अंतराल के बाद शुक्रवार को खेती संबंधी गतिविधियां फिर से शुरू कर दीं। अधिकारियों के मुताबिक सीमा सुरक्षा बल (BSF) और प्रशासन की मदद से कृषि संबंधी गतिविधियों को फिर से शुरू किया गया है। अधिकारियों ने बताया सीमा के पास हजारों एकड़ जमीन की जंगली घास और झाड़ियों की प्राकृतिक वृद्धि  एक बड़ी सुरक्षा चुनौती भी थी। 

 पिछले 22 वर्षों से बेकार पड़ी है हजारों एकड़ जमीन

अधिकारियों के अनुसार BSF ने चार बुलेटप्रूफ ट्रैक्टरों को कार्य में लगाया। इसे जंगली झाड़ियों को साफ करने और गेहूं की फसल के लिए जमीन को तैयार करने के लिए उसकी जुताई शुरू कर दी। पाकिस्तान द्वारा लगातार सीजफायर उल्लंघन के कारण कठुआ के हीरानगर सेक्टर में पहाड़पुर से लोंडी तक की जमान खराब पड़ी है। बता दें कि यह 22 गांवों में फैली सीमा के पास हजारों एकड़ जमीन पिछले 22 वर्षों से बेकार पड़ी है। अधिकारियों ने कहा कि जंगली घास और झाड़ियों की प्राकृतिक वृद्धि ने पाकिस्तान को घुसपैठियों को भेजने में काफी मदद मिली। इससे उन्हें घुसपैठियों को भारतीय सीमा क्षेत्र में भेजने और जमीन में सुरंग खोदने में मदद मिली, जो एक बड़ी सुरक्षा चुनौती थी।

"खेती में गतिविधियों का यह तीसरा सीजन"

कठुआ के डिप्टी कमिश्नर राहुल पांडे ने कहा, "खेती गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं। इस तरह की गतिविधि का यह तीसरा सीजन है। हम चाहते हैं कि कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए इन क्षेत्रों में खेती हो। इससे किसानों को लाभ होगा और यह खुशी का क्षण है।"

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