Jammu Kashmir: कश्मीर में टारगेट किलिंग्स का सिलसिला थमता हुआ नज़र नहीं आ रहा हैं। 72 घंटे के बाद शोपियां के हरमेन इलाके में आतंकियों ने प्रवासी लोगों पर ग्रेनेड से हमला करके 2 लोगों की हत्या कर दी। शोपियां में ही तीन दिन पहले आतंकियों ने कश्मीरी पंडित पूरण कृष्ण की गोली मार कर हत्या कर दी थी। शोपियां में कल रात गैर कश्मिरियों पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी टीआरएफ नाम के आतंकी संगठन ने ली है। सोशल मीडिया पर जारी हुए एक प्रेस रिलीज़ में ये चेतावनी दी गई है की आने वाले दिनों में इस तरह के हमले जारी रहेंगे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए कश्मीर पुलिस ने अब तक लश्कर के 2 आतंकियों को गिरफ्तार किया है। दोनों आतंकियों ने यह कुबूल किया है की उन्होंने इस हमले को अंजाम दिया है। पुलिस का कहना है कि शोपियां में हुए इन दोनों हमलों के पीछे लश्कर-ए-तोयबा का हाथ है। जम्मू कश्मीर पुलिस के ADGP विजय कुमार खुद घटना स्थल पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया।
यूपी के दो मजदूरों को बनाया गया निशाना
शोपियां में बीती रात साढ़े 12 बजे आतंकियों ने किराए पर रह रहे उत्तर प्रदेश के 2 मज़दूरों को उनके कमरे में घुस कर ग्रेनेड हमले से मार दिया। खून में लथपथ मज़दूरों को जब तक हॉस्पिटल पहुंचाआ गया, दोनों मज़दूरों की मौत हो गई थी। दोनों की पहचान मनीष कुमार और संजय कुमार के तौर पर हुई है। यह दोनों उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। दोनों मज़दूर सेब की पेटियों की पैकिंग का काम करते थे। इस कमरे में कुल 5 लोग रहते थे, लेकिन जब यह हमला हुआ, उस समय कमरे में 2 ही लोग मौजूद थे।
इस घटना के बाद शोपियां के कई इलाकों में जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना के साथ-साथ सीआरपीएफ का जॉइंट ऑपरेशन जारी है। यह ऑपरेशन शोपियां के इलावा पुलवामा और कुलगाम के भी कई इलाकों में गिरफ्तार आतंकियों से मिले इनपुट्स के आधार पर चलाया जा रहा है। पुलिस का कहना है की बहुत जल्द इन किलिंग्स में शामिल लश्कर के कमांडर दानिश और आबिद की तलाश करके या तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा या मार दिया जाएगा।
90 फीसदी मजदूर बाहरी
कश्मीर के बागों में इन दिनों सेब पूरी तरह से तैयार हैं और हार्वेस्टिंग का काम भी जारी है। हर साल करीब 80 फीसदी से 90 फीसदी नॉन लोकल मज़दूर सेब के बागों में हार्वेस्टिंग का काम करते हैं। लेकिन कल हुई इस घटना के बाद नॉन लोकल मज़दूरों में डर और खौफ दिख रहा है। इंडिया टीवी से बात करते हुए सेब के बाग में मज़दूरी करने वाले नॉन लोकल मज़दूरों ने कहा कि हम पिछले काफी समय से कश्मीर में मज़दूरी कर रहे हैं, ख़ास कर सेब का काम, लेकिन जब भी ऐसी घटना घटती है तो डर के मारे हम बहार नहीं निकते।
व्यापारी परेशान
इस घटना से नॉन लोकल मज़दूर ही नहीं, बल्कि सेब का व्यपार करने वाले लोग भी बेहद परेशान हैं, उनका कहना है कि 90 फीसदी मज़दूर देश के दूसरे राज्यों से कश्मीर में मज़दूरी करने आते हैं। जब भी किसी नॉन लोकल पर हमला होता है तो यह लोग डर जाते हैं। इनको मारना बहुत गलत है, हम इसकी निंदा करते हैं। सरकार को चाहिए इस की पूरी जांच करे और जो लोग ऐसी घटनाओं में शामिल हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले। इन लोगों का यह भी कहना हैं कि अगर यह लोग यहां नहीं होंगे तो व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।
क्या होते हैं हाइब्रिड मिलिटेंट्स
कश्मीर में पिछले कुछ समय से टारगेट किलिंग सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। दरअसल, टारगेट किलिंग्स करने वाले ऐसे हाइब्रिड मिलिटेंट्स होते हैं, जिनका पुलिस में कोई रिकॉर्ड मौजूद ही नहीं होता, ये आम लोगों की तरह एक जगह से दूसरी जगह आसानी से आते जाते हैं। दूसरा कि यह लोग सुरक्षाबलों और आम लोगों के शक के दायरे से भी दूर होते हैं, इसलिए आतंकी सरगना ज़्यादातर हाइब्रिड मिलिटेंट्स का इस्तेमाल करके ऐसी टारगेट किलिंग्स करवाने में सफल हो जाते हैं।
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