Jammu Kashmirs: जम्मू कश्मीर के सियासी गलियारों में फिर तूफान मचा हुआ है। मामला जम्मू कश्मीर की नई मतदाता सूची को लेकर है। चीफ इलेक्शन कमिश्नर ने जो जानकारी दी उसके बाद पीडीपी यानी जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) दोनों केंद्र सरकार पर हमलवार है। दोनों दल इसे सरकार की साजिश करार दे रहे हैं। इसी बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने तो सुबह पार्टी की बैठक बुलाने की बात भी कह दी थी।
डोमिसाइल सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं: चुनाव आयोग
मुख्य चुनाव अधिकारी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने मतदाता सूची को लेकर बुधवार को एक प्रेस वार्ता की थी। जिसमें कहा कि कहा कि जम्मू-कश्मीर में
वोटर बनने के लिए मूल निवासी प्रमाण पत्र यानी डोमिसाइल सर्टिफिकेट का होना आवश्यक नहीं है। यह बयान आने के बाद जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती नाराज हो उठीं। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भाजपा के लिए प्रयोगशाला बन चुका है। राज्य में बाहर से भाजपा के 25 लाख मतदाता लाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह चुनावी लोकतंत्र के कफन में अंतिम कील है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस भी इस निर्णय पर अपने तर्क दे रही है। पार्टी के नेता तनवीर सादिक ने कहा कि दूसरे राज्यों के लोग राज्य में सिर्फ आ सकते हैं। पंजीकरण करा सकते हैं। वोट कर सकते हैं और फिर अपने राज्यों में वापस जा सकते हैं। राज्य के लोगों को इस तरह से वंचित किया जाएगा।
मुख्य चुनाव अधिकारी ने दिया अनुच्छेद 370 का हवाला
मुख्य चुनाव अधिकारी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि वह उत्तर प्रदेश से हैं, अगर वह जम्मू-कश्मीर का यदि वे वोटर बनना चाहें तो बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद ये नियम अब लागू हो गए हैं। अन्य राज्यों की तरह अब J&K में भी ये लागू हो चुके हैं।
76 लाख से बढ़कर 1 करोड़ हो जाएंगे वोटर्स
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के तहत मतदाताओं की संख्या में 20 से 25 लाख की बढ़ोतरी संभव है। इलेक्शन कमीशन के अनुसार वोटर्स की संख्या 76 लाख से बढ़कर एक करोड़ से अधिक हो जाएगी। चुनाव आयोग की तरफ से इस संबंध में मतदाता सूचियों में विशेष सारांश संशोधन का काम 15 सितंबर से शुरू होगा।
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