नई दिल्ली: 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को रद्द किए जाने के बाद और केंद्र शासित प्रदेश घोषित होने के बाद जम्मू-कश्मीर पहले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हो रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षित और सुचारू चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जम्मू-कश्मीर में जमीनी हालत जानने के लिए कई स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कई बैठकों की अध्यक्षता की है। बता दें कि शाह ने प्रशासनिक विंग के साथ कई दौर की बैठकें की हैं और इस बारे में फीडबैक मांगा है कि चुनाव कितनी जल्दी हो सकते हैं।
अप्रैल या सिंतबर में हो सकते हैं चुनाव
सूत्र ने कहा, गृह मंत्री ने जमीनी रिपोर्ट की भी समीक्षा की है। चुनाव या तो साल की पहली छमाही में अप्रैल के आसपास या दूसरी छमाही में सितंबर के आसपास हो सकते हैं। शाह ने पिछले साल 28 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति और विकास के मुद्दों की भी समीक्षा की थी।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव सितंबर और अक्टूबर के बीच हो सकते हैं क्योंकि उस दौरान मौसम वोटर्स को मतदान केंद्रों तक पहुंचने से नहीं रोक पाएगा। एक अन्य नेता ने कहा कि अप्रैल के महीने में भी चुनाव पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने इस पर रिपोर्ट मांगी है कि क्या जमीनी हालात चुनाव के अनुकूल हैं।
बैठक में शामिल हुए मनोज सिन्हा और सीनियर पुलिस अफसर
पूर्व निर्धारित बैठक में गृह मंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा सुरक्षा स्थिति और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की। बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, प्रशासन, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
2018 में भाजपा द्वारा महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद से जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं।
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