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Hindi News भारत राष्ट्रीय ‘राम मंदिर’ कार्यक्रम के लिए PM मोदी को मिले न्योते से खुश नहीं है जमीयत, दिया बड़ा बयान

‘राम मंदिर’ कार्यक्रम के लिए PM मोदी को मिले न्योते से खुश नहीं है जमीयत, दिया बड़ा बयान

मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व वाले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यह भी कहा है कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय लिया था, हम उसको सही नहीं मानते हैं।

Ayodhya Ram Mandir, Ram Mandir Inauguration Date- India TV Hindi Image Source : PTI FILE जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना महमूद मदनी।

नई दिल्ली: देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले न्योते पर बड़ा बयान दिया है। जमीयत ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अयोध्या या किसी भी स्थान पर आयोजित होने वाले धार्मिक समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए। मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व वाले जमीयत ने यह टिप्पणी उस समय की है, जब ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास’ ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रित किया। 

‘प्रधानमंत्री को समारोह के लिए नहीं जाना चाहिए’

जमीयत की ओर से जारी बयान में महमूद मदनी ने कहा,‘हम स्पष्ट रूप से यह कहना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय लिया था, हम उसको सही नहीं मानते हैं। फैसले के तुरंत बाद हमने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि यह गलत माहौल में और गलत सिद्धांतों के आधार पर दिया गया है, जो कानूनी और ऐतिहासिक तथ्यों के भी विरुद्ध है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री को किसी भी पूजा स्थल के समारोह के लिए बिल्कुल नहीं जाना चाहिए। धार्मिक अनुष्ठान राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हों और धार्मिक लोगों द्वारा ही किए जाने चाहिए।’

9 नवंबर 2019 को आया था सु्प्रीम कोर्ट का फैसला

मदनी ने उस खबर का हवाला देते हुए अपने संगठन के पदाधिकारियों को गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देने की नसीहत दी, जिसमें जमीयत के एक पदाधिकारी के हवाले से कहा गया है कि पीएम मोदी को अयोध्या में मस्जिद के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल होना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को हिंदू पक्ष को देने का आदेश दिया था। इसके अलावा राज्य सरकार को हुक्म दिया था कि वह मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या के किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन मुहैया कराए। (भाषा)

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