भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) दुनियाभर के जाने-माने अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार को एक बयान दिया है। उन्होंने कहा, इसरो अंतरिक्ष एजेंसी में निवेश की गई धनराशि से समाज को क्या फायदा हुआ है, फायदा हुआ भी है या नहीं, इसे लेकर हाल ही में एक अध्ययन किया गया था। दरअसल एस सोमनाथ कर्नाटक आवासीय शैक्षणिक संस्थान सोसाइटी केआरईआईएस पहुंचे थे। यहां उन्होंने छात्रों से संवाद करने के दौरान यह बयान दिया। इस दौरान उन्होंने इसरो पर किए गए अध्ययन को लेकर कहा कि इसरो पर खर्च किए गए हर एक रुपये पर समाज को 2.50 रुपये वापस मिले हैं।
एस सोमनाथ बोले- वित्तपोषण के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रह सकते
कर्नाटक सरकार के समाज कल्याण विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संवाद सत्र का आयोजन किया गया था। एस सोमनाथ ने कहा, 'इसरों का लक्ष्य देश की सेवा करना है, ना कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई में शामिल होना। इसरो जो करना चाहता है, ऐसा करने के लिए उसे आजादी चाहिए।' उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में व्यावसायिक अवसरों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र कायम कर स्वतंत्रता हासिल की जा सकती है। इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि चंद्रमा से जुड़े हुए अभियान काफी महंगे होते हैं। ऐसे में इसरो के वित्तपोषण के लिए हम केवल सरकार पर निर्भर नहीं रह सकते हैं।
एस सोमनाथ बोले- इसरो और भी बहुत कुछ करता है
एस. सोमनाथ ने कहा कि हमें इसरों के लिए व्यावसायिक अवसर पैदा करने होंगे। अगर आपको इसे जारी रखना है तो इसरो की उपयोगिता साबित करनी होगी। अन्यथा, जब हम कुछ करेंगे, तब सरकार हमसे उसे बंद करने के लिए कहेगी। उन्होंने इसे लेकर कहा कि इसरो अंतरिक्ष के कामों के अलावा भी बहुत कुछ करता है। सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हम मछुआरों के लिए सलाह जारी करते हैं। मछुआरों को मछली कहां मिलेगी, इसके लिए कौन सा स्थान सही है, हम यह भी सलाह देते हैं। इससे मछुआरे अपने नावों के लिए आवश्यक डीजल की काफी बचत कर पाते हैं।
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