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इजरायल-हमास जंग के बीच मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील, कहा- कुनूत नज़ला पढ़ने के साथ करें दुआएं

इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के बीच भारत के कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुसलमानों से दुआ करने और कुनूत नज़ला पढ़ने की अपील की है। उन्होंने किसी भी तरीके का जुलूस या विरोध प्रदर्शन नहीं करने की अपील की है।

इजरायल-हमास के बीच जंग जारी- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO इजरायल-हमास के बीच जंग जारी

इजरायल और हमास के बीच जारी जंग का 7वां दिन है। आतंकी संगठन हमास के हमले के बाद इजरायल ने जंग शुरू कर दी है। इजरायल लगातार गाजा पट्टी पर हमला कर रहा है। इसकी वजह से इजराइल और फिलिस्तीन को लेकर दुनिया के देश दो हिस्सों में बंटे हुए दिख रहे हैं। भारत ने भी अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। इजराइल के लगातार हमले से गाजा पट्टी के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हमले में दोनों तरफ के करीब 2800 लोगों ने जान गंवा दी। मौजूदा हालात को देखते हुए भारत के कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुसलमानों से दुआ करने और कुनूत नज़ला ( Qunut Nazla) पढ़ने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने किसी भी तरीके का जुलूस या विरोध प्रदर्शन नहीं करने की अपील की है।

क्या है इमाम की अपील?

जेएएच (JAH) के अध्यक्ष असगर इमाम महादी सलाफी ने एक वीडियो जारी कर अपील की है कि मौजूदा हालात को देखते हुए सभी मुसलमानों को कुनूत नज़ला का आयोजन करना चाहिए। जब भी आमतौर पर ईमान वालों पर ज़ुल्म, कत्लेआम और लूटपाट होती है, तो पैगंबर मोहम्मद की सुन्नत कुनूत नज़ला को पढ़ना चाहिए। उन्होंने ऐसे में समय में कुनूत नज़ला पढ़ने के लिए कहा है, जब खास तौर से फिलिस्तीन और मध्य पूर्व में मुसलमानों के खिलाफ उत्पीड़न, हिंसा और इस्लाम द्वारा अन्यायपूर्ण हत्याओं और रक्तपात को गर्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म के लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वे इस मौके पर कुनूत नज़ला के साथ-साथ दुआ और इस्तिगफार करें। 

क्या है कुनूत नज़ला?

कुनूत नज़ला को नबी करीब (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) खुद पढ़ा करते थे। कुनूत नज़ला एक दुआ है जो सुबह की फर्ज नमाज की दूसरी रकात में रुकू से उठने के बाद और सज्दे में जाने से पहले पढ़ी जाती है। 

"जुलूस या विरोध प्रदर्शन नहीं करें"

ये बयान संयुक्त रूप से मौलाना सगीर अहमद रशादी (कर्नाटक के अमीर ए शरीयत), मौलाना मुफ्ती मुहम्मद शोएबुल्लाह खान (JUH), मौलाना मुहम्मद मकसूद इमरान रशादी (देवबंदी), मौलाना मुफ्ती इफ्तिखार अहमद कासमी (JUH), मौलाना एज़ाज़ अहमद नदवी (अहले हदीस) और मौलाना कारी जुल्फिकार रजा नूरी (अहले सुन्नत उल जमात) की ओर से जारी किया गया है। उन्होंने अपील की है कि किसी भी तरीके के जुलूस या विरोध प्रदर्शन न करें, बल्कि दुआ करें। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इजराइल और फिलिस्तीन मुद्दे का शांतिपूर्ण तरीके से ही समाधान निकल सकता है। 

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