पूरी दुनिया में हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज का दिन समूचे विश्व में इंटरनेशनल टाइगर डे के रूप में मनाया जा रहा। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मुताबिक हमारे भारत देश में पूरी दुनिया की लगभग 75% जंगली बाघ की आबादी रहती है। बाघों की सबसे बड़ी आबादी 785 मध्य प्रदेश में है, इसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560), और महाराष्ट्र (444) हैं। एक समय था जब भारत में बाघों की संख्या काफी गिरने लगी थी, जो कि चिंता का विषय बन गई थी।
टाइगर रिजर्व में यहां हैं सबसे ज्यादा बाघ
टाइगर रिजर्व के भीतर बाघों की बहुतायत कॉर्बेट (260) में सबसे अधिक है, इसके बाद बांदीपुर (150), नागरहोल (141), बांधवगढ़ (135), दुधवा (135), मुदुमलाई (114), कान्हा (105), काजीरंगा (104) हैं। ), सुंदरबन (100), ताडोबा (97), सत्यमंगलम (85), और पेंच-एमपी में 77 है। भारत के लिए यह दिवस बेहद खास इसलिए भी है क्योंकि टाइगर यानी बाघ हमारे देश का राष्ट्रीय पशु है।
'कब हुई थी प्रोजेक्ट टाइगर की शुरूआत'
आपको बता दें कि हमारे देश में करीब 50 साल पहले 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक उस समय देश में बाघों की संख्या केवल 268 रह गई थी। लेकिन इस प्रोजेक्ट का ही परिणाम है कि देश में इस खूबसूरत दुलर्भ जीव की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1973 में 18,278 वर्ग किमी जमीन पर 9 टाइगर रिजर्व की प्रारंभिक संख्या बढ़कर अब 53 हो गई है।
सबसे आगे कौन
मध्य प्रदेश में बाघ के मामले में सबसे आगे है, इसका टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार है। दूसरे पायदान पर कर्नाटक आता है, वहीं तीसरे पर उत्तराखंड और फिर महाराष्ट्र का नाम आता है।
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