International Day of Forests 2022: एक साल में 100Kg ऑक्सीजन देता है एक पेड़, जानिए क्या है दुनिया के जंगलों की दशा
हर साल दुनिया भर 21 मार्च को इंटरनेशनल फॉरेस्ट डे मनाया जाता है। जानिए यह कब शुरू हुआ और इस साल की थीम क्या है। देश-दुनिया में जंगलों की दशा क्या है।
International Day of Forests 2022: पेड़ हैं तो सुरक्षित पर्यावरण है। वैश्विक जलवायु सम्मेलनों पर्यावरण को बचाने पर गंभीरता से मंथन हुआ है। ऐसे में पेड़ लगाना जंगलों में बढ़ोतरी होना हमारी पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों के जीवन के लिए अहम है। हरे—भरे जंगल ऑक्सीजन बढ़ाने के साथ ही पारिस्थितिकीय संतुलन भी बनाकर रखते हैं। इसका उदाहरण इसी बात से लग जाता है कि अमेजन के जंगल दुनिया की 20 फीसदी ऑक्सीजन जनरेट करते हैं। देश—दुनिया में पेड़ों व जंगलों की स्थिति और उनकी अहमियत के बारे लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल दुनिया भर 21 मार्च को इंटरनेशनल फॉरेस्ट डे मनाया जाता है। जानिए यह कब शुरू हुआ और इस साल की थीम क्या है।
यह दिन सभी तरह के वनों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जा रहा है। इस दिन देशों को वनों और पेड़ों से संबंधित गतिविधियों का आयोजन करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाता है। इन गतिविधियों में वृक्षारोपण अभियान भी शामिल हैं।
- एक पेड़ एक साल में औसतन 100 किग्रा तक ऑक्सीजन देता है। एक व्यक्ति को सांस लेने के लिए सालभर में 740 किग्रा ऑक्सीजन की जरूरत होती है।
- हर रोज कट रहे हैं 2 लाख पेड़, 33 फीसदी जमीन पर जंगल का लक्ष्य, इसके लिए 2800 करोड़ पेड़ लगाने होंगे
- भारत में पिछले 18 सालों (2000-2018) में 16,744 वर्ग किमी (17,200 करोड़ वर्गफीट से ज्यादा) में फैले पेड़ काटे गए। यानी करीब 125 करोड़ पेड़ काटे गए। यानी हर रोज औसतन 2 लाख पेड़ कट रहे हैं।
- बड़े शहरों की बात की जाए तो दिल्ली सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि 2005 से करीब डेढ़ दशक के दौरान दिल्ली में 1.12 लाख से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। यानी यहां हर घंटे एक पेड़ का नुकसान हो रहा है।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 21% से अधिक जमीन पर की जंगल हैं, जबकि लक्ष्य 33 फीसदी का है। इस लक्ष्य को पाने के लिए करीब 3.76 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में पेड़ लगाने की जरूरत है। यानी कम से कम 2800 करोड़ पेड़ लगाने की जरूरत है।
- सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 30 सालों में 23,716 इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट्स के लिए 14 हजार वर्ग किलोमीटर जंगल साफ कर दिए गए। यानी करीब 105 करोड़ पेड़ काटे गए। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार किसी जंगल में प्रति वर्ग किलोमीटर में 50 हजार से 1 लाख पेड़ होते हैं।
क्या कहती है दुनिया की तस्वीर
- 2015 में नेचर जर्नल के एक अध्ययन के मुताबिक जब से इंसान ने पेड़ काटना शुरू किया है, तब से अब तक 46 फीसदी पेड़ गिरा चुका है। दुनिया में अभी 3.04 लाख करोड़ पेड़ हैं।
- ट्रॉपिकल फॉरेस्ट अलाएंस 2020 के मुताबिक अगर हम कोई बदलाव नहीं लाते हैं तो 2030 तक 17 लाख वर्ग किमी में फैले ट्रॉपिकल फॉरेस्ट खत्म हो जाएंगे।
- सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट का एक अध्ययन बताता है कि अगर पेड़-पौधे इसी दर से खत्म होते रहे, तो 2050 तक भारत के क्षेत्रफल के बराबर जंगल नष्ट हो जाएंगे।
खतरे में है दुनिया को 20% ऑक्सीजन देने वाले अमेजन के जंगल
दक्षिण अमेरिका में स्थित अमेजन जंगल विश्व के सबसे बड़े जंगल हैं। यह पूरी दुनिया की 20 फीसदी ऑक्सीजन जनरेट करते हैं। इसकी सीमाएं नौ देशों से लगती हैं। इसमें ब्राजील, बोलिविया, पेरु, इक्वाडोर, कोलंबिया, वेनुजुएला, गुयाना, सुरिनाम और फ्रेंच गुयाना शामिल हैं. इस जंगल का 60 फीसदी हिस्सा ब्राजील में स्थित है। लेकिन यह दुखद है कि दुनिया के लिए वरदान ये अमेजन के जंगल हर साल आग लगने की घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं। हाल के दौश्र में कुछ आग तो इतनी भयंकर लगी हैं कि कई दिनों तक अमेजन के जंगल सुलगते रहे। इसे लेकर ब्राजील की सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास भी नाकाफी रहे हैं।
बढ़ती हैं बीमारियां, पेरू में जंगल कटने पर 200 गुना बढ़ गए मलेरिया के मरीज
जंगल कटने से बीमारी फैलाने वाले जीव, खासतौर पर मच्छर रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं। उदाहरण के लिए जीका वायरस 1940 के दशक में युगांडा के जीका जंगल से आया। अफ्रीका में तेजी से जंगल काटे जा रहे हैं और इन्हीं जंगलों से डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर जैसी बीमारियां आई हैं। तमाम अध्ययन साबित कर चुके हैं कि जंगल कटने से बीमारियां बढ़ती हैं। उदाहरण के लिए 1990 के दशक में सड़कें बनाने और खेती की जमीन बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर जंगल कटे। इसके तुरंत बाद ही वहां सालाना मलेरिया मरीजों का आंकड़ा 600 से बढ़कर 1.2 लाख सालाना हो गया। ब्राजील में प्रकाशित एक जर्नल के मुताबिक 4 फीसदी जंगल काटने से वहां मलेरिया के मामले 50 फीसदी बढ़ गए। इसी तरह अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के एक अध्ययन का दावा है कि जिन जगहों पर जंगल काट दिए गए हैं वहां मलेरिया फैलाने वाले मच्छर जंगली इलाके की तुलना में 278 गुना ज्यादा बार काटते हैं।
कब हुई इस दिन को मनाने की शुरुआत, क्या है 2022 की थीम
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 28 नवंबर 2012 को एक प्रस्ताव पारित करते हुए प्रतिवर्ष 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के लिए थीम को जंगलों पर सहयोगात्मक भागीदारी (CPF) द्वारा चुना जाता है। इस वर्ष विश्व वानिकी दिवस 2022 की थीम 'वन और सतत उत्पादन और खपत' यानी Forests and sustainable production and consumption है।