भारतीय सेना ने 2012 में की थी 'तख्तापलट' की कोशिश? कर्नल हनी बख्शी ने बताई सच्चाई
अखबार में दावा किया गया था कि 33वीं आर्मर्ड डिविजिन की एक टुकड़ी जो हिसार में तैनात थी, दिल्ली की तरफ बढ़ी थी। मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की एक पूरी यूनिट मोबलाइज की गई जो अपने साथ 40 से ज्यादा टैंक ट्रांसपोर्टर्स लेकर चली थी।
Indian Army Coup: अप्रैल 2012 में एक अखबार के फ्रंट पेज पर छपी एक खबर ने पूरे देश में बवाल मचा दिया था। वह खबर थी भारतीय सेना द्वारा 'तख्तापलट' की कोशिश की। इस खबर में दावा किया गया था कि तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की जानकारी के बिना सेना की दो टुकड़ियां जनवरी 2012 में दिल्ली कूच कर रही थीं। अखबार में दावा किया गया था कि 33वीं आर्मर्ड डिविजिन की एक टुकड़ी जो हिसार में तैनात थी, दिल्ली की तरफ बढ़ी थी। मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की एक पूरी यूनिट मोबलाइज की गई जो अपने साथ 40 से ज्यादा टैंक ट्रांसपोर्टर्स लेकर चली थी। यह भी दावा किया गया था कि इसके तुरंत बाद आगरा में तैनात 50वीं पैरा ब्रिगेड की एक यूनिट भी दिल्ली की ओर कूच करने लगी। सूत्रों के हवाले से अखबार ने भारत में तख्तापलट की कोशिश की आशंका जताई। उस दौरान सेना के प्रमुख जनरल वीके सिंह थे।
'यहां लोकतांत्रिक सेना है'
भारतीय सेना ने सैन्य तख्तापलट की ऐसी किसी भी कोशिश से साफ इनकार किया था। कर्नल हनी बख्शी, जोकि जनरल वीके सिंह के बेहद भरोसेमंद अफसर थे, ने इस घटना के पीछे की सच्चाई के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसा न कभी हुआ है और न कभी होगा। लोगों ने तो ये भी कथा चला दी कि यहां कू की कोशिश हुई! क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं? यह देश बेहद भाग्यशाली है कि यहां इतनी लोकतांत्रिक सेना है। इस देश की सबसे असंभव चीजों में से एक होगा अगर यह सेना तख्तापलट करे।
देश की सेना कभी ऐसा नहीं करेगी
कर्नल हनी बख्शी ने ANI पॉडकास्ट में स्मिता प्रकाश से बात करते हुए कहा, "मैं ऑन रिकॉर्ड यह बात कह रहा हूं कि इस देश की सेना कभी ऐसा नहीं करेगी। हम दुश्मन सेना नहीं हैं। हम एक लोकतांत्रिक देश की सेना हैं।" उन्होंने कहा कि वह आर्टिकल शायद (रक्षा) मंत्रालय के भीतर दिया गया। एक अखबार को सारी सूचनाएं मिल रही थीं। आप मीडिया का हिस्सा हैं, अगर कोई अधिकारी कुछ कहता है तो आपके लिए वह सोर्स है, आप उसे चलाएंगे। हिंदुस्तान में तो लोगों को तड़के की आदत पड़ गई है न, हम तो खाना भी बिना तड़के के नहीं खाते और यह तो बहुत अच्छा तड़का था, ऐसा कुछ नहीं है। मेरा विश्वास कीजिए।
मनमोहन सिंह ने मांगी थी इस खबर की जानकारी
बता दें कि जनरल वीके सिंह मार्च 2010 से मई 2012 तक भारतीय सेना के प्रमुख थे। वीके सिंह पर ही मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ तख्तापलट करने की कोशिश का आरोप लगा था। 'द संडे गार्डियन' की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2012 में सेना के कथित तख्तापलट की खबरों पर तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने आइबी के अधिकारियों को बुलाकर इस खबर की जानकारी मांगी थी। आइबी ने मनमोहन सिंह को बताया था कि ऐसा कोई भी प्रयास नहीं किया गया है।
भारत में क्यों नहीं हो सकता तख्तापलट
भारत में सेना के लिए तख्तापलट करना असंभव है क्योंकि देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं बहुत मजबूत हैं। इसके बहुत स्वाभाविक कारण हैं। भारत की सेना का ढांचा पश्चिमी देशों की तर्ज पर बनाया था जिसकी स्थापना अंग्रेज़ों ने की थी। इस बात पर गौर किया जा सकता है कि पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों में तख़्तापलट की घटनाएं नहीं हुईं। असल में सेना को तख़्तापलट का मौका तब मिलता है जब देश में बहुत अस्थिरता हो, राजनीतिक विभाजन चरम पर हो और लोकतांत्रिक संस्थाएं कमज़ोर हों या भेदभाव या अराजकता की स्थिति हो और गौर करने वाली बात यह है कि देश में ऐसी स्थिति कभी पैदा ही नहीं हुई।