Indo-China Toy Trade: भारतीय बच्चों से डरा चीन, नन्हें-मुन्नों ने यूं कर दिया ड्रैगन के चारों खाने चित्त
Indo-China Relation: खुद को अमेरिका, रूस, फ्रांस , इंग्लैंड और जर्मनी जैसे शक्तिशाली देशों से बेहतर आंकने वाला चीन भारतीय बच्चों से ही डर गया है। नन्हें-मुन्ने बच्चों ने ड्रैगन के चारों खाने चित्त कर दिए हैं। इससे पूरे चीन में हड़कंप मच गया है।
Highlights
- भारतीय बच्चों ने चीन की निकाल दी हेकड़ी
- चीनी खिलौनों का बाजार भारत में हुआ धड़ाम
- भारत में तीन वर्ष में छह गुना घटा चीनी खिलौनों का आयात
Indo-China Relation: खुद को अमेरिका, रूस, फ्रांस , इंग्लैंड और जर्मनी जैसे शक्तिशाली देशों से बेहतर आंकने वाला चीन भारतीय बच्चों से ही डर गया है। नन्हें-मुन्ने बच्चों ने ड्रैगन के चारों खाने चित्त कर दिए हैं। इससे पूरे चीन में हड़कंप मच गया है। चीन को शायद यह उम्मीद भी नहीं रही होगी कि करीब दो वर्ष पहले गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना से मुंह की खाने के बाद एक दिन उसी देश के बच्चे भी ड्रैगन की सारी हेकड़ी निकाल देंगे। मगर हिंदुस्तान बच्चों ने यह सच कर दिखाया है। इससे सिर्फ चीन ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया हैरत में पड़ गई है। भारतीयों बच्चों के इस वार से बचने का फिलहाल चीन को कोई तरीका नहीं सूझ रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सराहना कर देश भर के बच्चों में चीन के प्रति इस क्रांति को और भी बढ़ा दिया है। इससे चीन बुरी तरह घबराया हुआ और परेशान है। आइए अब आपको बताते हैं कि भारतीय नौनिहालों ने ऐसा क्या कर दिया, जिससे चीन के चारों खाने चित्त हो गए।
दरअसल चीन भारी मात्रा में खिलौने भारत भेजता है। वर्ष 2018-19 में भारत में 2601 करोड़ रुपये के खिलौने आयात किए गए थे। इसमें से 78 फीसदी खिलौनों का आयात चीन से हुआ था। 2019-20 में 1856 करोड़ रुपये के चीनी खिलौने भारत में आयात किए गए। इसके बाद 2020-21 में 980 करोड़ और अब वर्ष 2021-22 में सिर्फ 443 करोड़ रुपये के ही चीनी खिलौनों का आयात किया गया। इस प्रकार चीनी खिलौनों का आयात तीन-चार वर्षों के दौरान छह गुना तक भारत में कम हो गया है। अब देश के बच्चे चीनी खिलौनों को पसंद नहीं कर रहे हैं।
देश में ऐसे घटा खिलौना आयात
वर्ष आयात
2018-19 2601 करोड़
2019-20 1856 करोड़
2020-21 980 करोड़
2021-22 443 करोड़
भारतीय खिलौना बजार में बूम
चीन समेत अन्य देशों से भारत में आने वाले खिलौनों में तीन वर्षों में 70 फीसद से अधिक की कमी दर्ज की गई है। वहीं भारतीय खिलौना बाजार में बूम आ रही है। हालत यह है कि चीन और अन्य देशों के खिलौने पर निर्भर रहने वाले भारत ने अब इसका निर्यात करना शुरू कर दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गत तीन वर्षों के दौरान भारत ने अपने खिलौनों के निर्यात में 60 फीसद की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हासिल की है। अब तक स्थिति यह थी कि भारत विदेशों से कुल 85 फीसद खिलौनों का आयात करता था। सिर्फ 15 फीसद खिलौने ही देश में निर्मित होते थे। मगर अब परिदृश्य बिल्कुल बदल गया है और भारत खिलौने निर्यात करने वालों की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है।
पीएम मोदी की अपील का बच्चों के दिल-दिमाग पर असर
सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में अपनी लोकप्रियता के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील ने बच्चों के दिलों-दिमाग पर गहरा असर डाला है। इसका नतीजा यह हुआ है कि अब बाजार जाने पर बच्चे पता चलते ही चीनी खिलौनों को लेने से इंकार कर दे रहे हैं। वह कहते हैं कि हम चीनी खिलौनों से नहीं खेलेंगे। यह देख ऐसे बच्चों के माता-पिता भी हैरान हैं। बच्चों की इसी देशभक्ति से चीन पस्त हो गया है। भारत में कभी 2000 करोड़ तक का खिलौना निर्यात करने वाले चीन का बाजार अब यहां 450 करोड़ से भी नीचे पहुंच गया है।
अब इन विदेशी कंपनियों के लिए भारत में बन रहे खिलौने
स्पिन मास्टर, गोल्डन बियर, आइएमसी, ग्लोबल टॉय ब्रांड हसब्रो, ड्रैगन शिफू, हार्नबाइ, एमजीए इत्यादि विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय कंपनियां खिलौने बना रही हैं। इससे देश को आर्थिक मजबूती भी मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ भारत की इस पहले से चीन में खिलौनों से होने वाली आय का आर्थिक ढांचा चरमरा गया है।
अब इन देशों को भारत बेच रहा अपने खिलौने
भारत ने न सिर्फ विदेशी खिलौनों पर अपनी निर्भरता खत्म की, बल्कि वह अब दूसरे देशों को खिलौने बनाकर भेजने की श्रेणी में आ गया। मौजूदा समय में भारत से आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका और दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व देश, इंडोनेशिया, मंगोलिया, न्यूजीलैंड, जापान, केन्या, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय यूनियन इत्यादि देशों को खिलौना निर्यात किया जा रहा है। यह भारत की अब तक की बड़ी उपलब्धियों में से एक है।