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Hindi News भारत राष्ट्रीय देश में बढ़ते ट्रेन हादसों को रोकने के लिए रेलवे ने किया रेल रक्षक दल का गठन, जानिए इनकी खूबी

देश में बढ़ते ट्रेन हादसों को रोकने के लिए रेलवे ने किया रेल रक्षक दल का गठन, जानिए इनकी खूबी

भारतीय रेलवे ने गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर 'रेल रक्षा दल' टीम और उपकरण स्थापित किए हैं। रेल रक्षा दल रेस्क्यू अभियान में एक्सपर्ट है।

सांकेतिक तस्वीर- India TV Hindi Image Source : PTI सांकेतिक तस्वीर

जयपुरः देशभर में बढ़ती ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय रेलवे ने पहली बार रेल रक्षक दल का गठन किया है। एक पायलट प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में भारतीय रेलवे ने उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) क्षेत्र में यह पहल शुरू की है। रेल रक्षक दल तत्काल दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव कार्य करने में सक्षम हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे के आईजी आरपीएफ ज्योति कुमार सतीजा ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि हमारे रेल मंत्री ने किसी भी दुर्घटना के दौरान बचाव में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए यह पहल की है।  

टीम को दी गई है विशेष ट्रेनिंग

 ज्योति कुमार सतीजा ने कहा कि रेल मंत्री ने यह जिम्मेदारी उत्तर पश्चिमी रेलवे को दी है और RPF और मैकेनिकल टीम को 4 हफ्ते की विशेष ट्रेनिंग दी गई है। हमारी टीम रेल रक्षा दल कम से कम समय में दुर्घटना स्थल पर पहुंचेगी। यह एक बहुत ही ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे ने गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर 'रेल रक्षा दल' टीम और उपकरण स्थापित किए हैं।

पांच आरपीएफ टीमें और एक मैकेनिकल टीम रहेगी शामिल

रेल रक्षक दल में चार इकाइयां शामिल हैं, जिनमें पांच आरपीएफ टीमें और एक मैकेनिकल टीम शामिल है। इस टीम को ट्रेन हादसों से निपटने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि ट्रेन एक्सीडेंट की सूचना मिलते ही यह टीम तुुरंत मौके पर रवाना हो जाएगी। 

ट्रेन को डिरेल करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई

वहीं, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं उन लोगों से स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं जो डिरेल करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे रेलवे का राजनीतिकरण करने की कोशिश न करें। उनके खिलाफ राज्य पुलिस और NIA के सहयोग से सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

 अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कवच 4.O के तहत लोको पायलट अपनी कैब में ही 10 किलोमीटर दूर का सिग्नल देख सकता है। अगर ट्रेन रेड सिग्नल के पास पहुंच रही है और ड्राइवर ध्यान नहीं दे रहा है, तो कवच अपने आप ब्रेक लगा देगा। कवच को बारिश, पहाड़ी इलाकों, तटीय इलाकों के अनुरूप विकसित किया गया है। अगले 5-6 सालों में पूरा नेटवर्क कवच से कवर हो जाएगा। 

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