BMMA ने 2015 और 2018 में दो बार देशभर में सर्वे किए, जिसमें 84% मुस्लिम महिलाओं ने बहु पत्नी प्रथा को गैरकानूनी बताया। 73% महिलाओं को लगता है कि दूसरी शादी करने वाले मर्द को सजा मिलनी चाहिए। 45% महिलाएं कहती हैं कि उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं है। अपने शौहर की दूसरी शादी स्वीकार कर उन्हें बच्चों की भी फिक्र है। 50% महिलाओं ने बताया कि अपने पति की दूसरी शादी के बाद उन्हें डिप्रेशन, अपराध भाव और खुदकुशी की भावनाएं झेलनी पड़ती है।
84% महिलाएं बहुपत्नी प्रथा को गैरकानूनी करने के पक्ष में
एक और स्टडी में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने पाया कि 91.7 % महिलाओं ने कहा कि वो नहीं चाहती कि उनके शौहर की दूसरी शादी करे। 84% महिलाएं चाहती हैं कि बहुपत्नी प्रथा को गैरकानूनी किया जाए। देश भर में BMMA ने दो बार 2015 और 2018 में मुस्लिम महिलाओं के लिए सर्वे किए। 2015 में करीब 5 हजार महिलाओं का सर्वे किया गया था जबकि 2018 में 5550 महिलाओं का सर्वे किया गया था।
मुस्लिम महिला आंदोलन महिलाओं के लिए ठोस कानून की मांग कर रहा
मुस्लिम महिला आंदोलन 2007 से एक विधिबद्ध मुस्लिम पारिवारिक कानून की मांग कर रहा है। वहीं बाल विवाह प्रतिबंधक कानून 2006 के तहत इस कानून में मुस्लिम समाज को भी शामिल करने की मांग उठाई जा रही है। भारतिय मुस्लिम महिला आंदोलन ने मुस्लिम पारिवारिक कानून की मांग की है,अब तक मुस्लिम महिलाओं को कानूनी हिफाजत नहीं मिली है।
बहुपत्नी प्रथा और बालविवाह प्रतिबंधक कानून जैसे मुद्दे कुरान और संवैधानिक मुल्यों के आधार पर मुस्लिम पारिवारिक कानून में बदलाव की जरूरत मुस्लिम महिला आंदोलन ने उठायी। संगठन ने कहा कि हमे इंसाफ, बराबरी और भेदभाव रहित कानून की जरूरत है। बहु पत्नी प्रथा,बाल विवाह जुबानी तलाक, हलाला, इन सब से मुस्लिम मैहिलाओ के मानवाधिकारों का हनन होता है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में कानून नहीं इसलिए सरकार इस पर ले आए कानून
जुबानी तलाक को गैरकानूनी बनाया गया। अभी-अभी बहु पत्नी प्रथा पर रोक लगायी जाए, पहली पत्नी मौजूद है तो दूसरी शादी की इजाजत नही मिलनी चाहिए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में इसे लेकर कोई कड़े कानून नही है, इसलिए महिलाओं के इस संगठन ने सीधे तौर पर इस संगठन को ही नकार दिया कि हम सरकार से चाहते है कड़े कानून इस संदर्भ में लाए जाए।
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