Indian Citizen Migration: भारत की नागरिकता छोड़कर विदेश क्यों जा रहे हैं बड़ी संख्या में लोग, क्या है इसकी बड़ी वजहें?
Indian Citizen Migration: संसद का मानसून सत्र चल रहा है, इस सत्र के दौरान गृह मंत्रालय ने भारत की नागरिकता छोड़ने वाले लोगों का एक आंकड़ा जारी किया है। इस आंकड़े को देखकर आप हैरान हो जाएंगे। संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हर वर्ष औसतन डेढ़ लाख लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं।
Highlights
- हर वर्ष औसतन डेढ़ लाख लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं
- साल 2021 में 1,63,370 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी
- भारत की नागरिकता छोड़ कर ज्यादातर लोग अमेरिका जा रहे हैं
Indian Citizen Migration: संसद का मानसून सत्र चल रहा है, इस सत्र के दौरान गृह मंत्रालय ने भारत की नागरिकता छोड़ने वाले लोगों का एक आंकड़ा जारी किया है। इस आंकड़े को देखकर आप हैरान हो जाएंगे। संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हर वर्ष औसतन डेढ़ लाख लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं। मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि साल 2021 में 1,63,370 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी। जबकि, साल 2020 में 85,256 लोगों ने और साल 2019 में 1,44,017 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी। तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखें तो साल 2020 के मुकाबले साल 2021 में लगभग दोगुने लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशी नागरिकता ले ली।
भारत छोड़कर कहां जा रहे हैं लोग
सवाल उठता है कि आखिरकार जो भारत भविष्य में विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है, उसे छोड़कर लोग जा कहां रहे हैं। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय नागरिकता छोड़कर विदेशों में बसने वाले लोगों की पहली पसंद अमेरिका बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में भारत की नागरिकता छोड़ने वाले कुल लोगों में से 61,683 लोगों ने अमेरिका की नागरिकता ली थी। जबकि साल 2020 में 30,828 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़कर अमेरिका की नागरिकता ली थी। वहीं साल 2021 में सबसे अधिक 78,284 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़कर अमेरिका की नागरिकता ले ली।
अमेरिका के बाद भारत छोड़कर जाने वालों की पसंद ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भी बना हुआ है। साल 2021 में 23,533 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़कर ऑस्ट्रेलिया के नागरिकता ली। जबकि, इसी वर्ष 21,597 लोगों ने कनाडा की नागरिकता ली। भारत की नागरिकता छोड़कर साल 2021 में ब्रिटेन में बसने वालों की संख्या 14,637 रही। इसके अलावा भारतीय नागरिकता छोड़कर लोग चीन, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड, पाकिस्तान और बांग्लादेश की भी नागरिकता ले रहे हैं। भारत छोड़कर पाकिस्तान में बसने वालों की संख्या पर नज़र डालें तो पता चलता है कि साल 2019 में जहां एक भी भारतीय नागरिक ने पाकिस्तान की नागरिकता नहीं ली, वहीं साल 2020 में 7 भारतीय नागरिकों ने पाकिस्तान की नागरिकता ली। जबकि, साल 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 41 तक पहुंच गया।
भारतीय अमीर भी छोड़ रहे हैं देश
साल 2018 में मॉर्गन स्टैनली नामक बैंक ने एक डेटा जारी किया था। जिसके अनुसार, साल 2014 से लेकर 2018 के बीच 23,000 भारतीय करोड़पतियों ने हिंदुस्तान छोड़ दिया। जबकि ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू की रिपोर्ट बताती है कि साल 2020 में लगभग 5000 भारतीय करोड़पतियों ने देश छोड़ दिया। दरअसल, आजकल अमीर भारतीय नागरिकों के बीच गोल्डन वीजा पाने की होड़ मची है। यानी कि किसी देश में निवेश के जरिए वहां की नागरिकता ले लेना। दूसरे देशों में नागरिकता और वीजा दिलाने वाली कंपनी हेनरी एंड पार्टनर्स की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2020 के मुकाबले 2021 में नागरिकता नियमों के बारे में पूछताछ करने वाले भारतीयों की संख्या 54 फ़ीसदी बढ़ी थी। जबकि साल 2019 के मुकाबले साल 2020 में इस संख्या में 63 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
आखिर लोग क्यों छोड़ रहे हैं भारतीय नागरिकता
विशेषज्ञों की मानें तो भारत की नागरिकता छोड़ने वालों के पास कुछ प्रमुख वजहें हैं। पहली वजह है व्यापारिक सुरक्षा। दरअसल, भारत के धनी लोगों को लगता है कि भारतीय सरकार उन्हें व्यापार के अनुकूल माहौल नहीं बना कर दे पा रही है, जिसकी वजह से वह किसी और देश में निवेश कर वहीं की नागरिकता ले लेते हैं। दूसरी बड़ी वजह है लिविंग स्टैंडर्ड। भारत के अमीर लोगों को लगता है कि जो लिविंग स्टैंडर्ड उन्हें अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया या कनाडा में मिल जाएगा वह उन्हें यहां नहीं मिलेगा।
एजुकेशन भी बड़ी वजह है
भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों में बसने वाले लोगों को लगता है कि एजुकेशन के मामले में पश्चिमी देश भारत से बेहतर हैं। आपको बता दें, साल 2020 के मुकाबले 2021 में भारतीय छात्रों की संख्या अमेरिका में लगभग 12 फ़ीसदी बढ़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ सालों में देखा गया है कि पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाली भारतीय छात्रों में से करीब 70 से 80 फ़ीसदी युवा देश वापस नहीं लौटते हैं। बेहतर भविष्य और करियर को देखते हुए वह विदेश की नागरिकता लेकर वहीं बस जाते हैं।
एकल नागरिकता भी एक वजह
भारत के संविधान में एकल नागरिकता का प्रावधान है। यानी कि भारत का संविधान भारतीयों को दोहरी नागरिकता रखने की अनुमति नहीं देता है। भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार भारत के नागरिक रहते हुए आप दूसरे देश के नागरिक नहीं रह सकते। अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक रहते हुए दूसरे देश की नागरिकता लेता है तो अधिनियम की धारा 9 के तहत उसकी नागरिकता समाप्त हो सकती है। जबकि इटली, आयरलैंड, अर्जेंटीना, पराग्वे जैसे कई देश है जहां दोहरी नागरिकता का प्रावधान है। यह एक बड़ी वजह है कि जब कोई भारतीय दूसरे देश की नागरिकता लेना चाहता है तो उसे भारत की नागरिकता छोड़नी पड़ती है। अगर भारत में भी एकल नागरिकता का सिस्टम नहीं होता तो शायद भारतीय नागरिक अन्य देशों की नागरिकता लेते वक्त भारत की भी नागरिकता अपने पास रखते। हालांकि, यहां हम आपको एक जानकारी दे दें कि जो भी भारतीय नागरिक अपनी नागरिकता छोड़ते हैं वह ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया कार्ड के लिए अप्लाई कर सकते हैं जिससे उन्हें भारत में रहने और अपना बिजनेस चलाने में सहूलियत मिलती है।