कितना घातक है वायुसेना का मिग-29 विमान? सीमा पर चीन-पाकिस्तान की उड़ाएगा नींद
मिग-29 का निर्माण तत्कालीन सोवियत यूनियन यानी वर्तमान रूस ने किया था। तकनीक में उन्नत इस विमान ने करगिल युद्ध में भी अपने कौशल की छाप छोड़ी थी।
सीमा पर चीन और पाकिस्तान के उकसावे को करारा जवाब देने के मकसद से भारतीय वायुसेना ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर एडवांस मिग-29 लड़ाकू विमानों का एक स्क्वाड्रन तैनात किया है। बता दें कि एक स्क्वाड्रन में करीब 16-18 लड़ाकू विमानों की संख्या होती है। कितना खतरनाक है भारत का मिग-29 विमान और क्या ये पाकिस्तान और चीन दोनों को ही मुंहतोड़ जवाब देने में माहिर है? आइए जानते हैं
सोवियत से हुई थी खरीद
मिग-29 को भारतीय वायुसेना ने 1985-90 के बीच आपात स्थिति में अपने बेड़े में शामिल किया था। तब के दौर में सोवियत यूनियन (वर्तमान रूस) ने इस विमान को अमेरिकी f-16 को टक्कर देने के लिए बनाया गया था। भारतीय वायुसेना के पास मिग-29 के तीन स्क्वाड्रन यानी करीब 50 विमान मौजूद हैं। ये विमान अपग्रेडेड वर्जन UPG लेवल के हैं। भारतीय नौसेना भी अपने एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य पर मिग-29K का इस्तेमाल करती है।
क्या है विमान की खूबी?
मिग-29 में पाकिस्तान और चीन दोनों को ही मुंहतोड़ जवाब देने की उन्नत क्षमता है। इस विमान में कई अपग्रेड कर के इसे मॉडर्न फीचर्स से लैस किया गया है। इसमें लंबी रेंज की एयर-टु-एयर मिसाइलें, नाइट विजन, एयर-टु-एयर रिफ्यूलिंग समेत कई अन्य आधुनिक फीचर्स जोड़े गए हैं। इसके अलावा मिग-29 में दुश्मन देश के विमानों के सेंसर्स को जैम करने की भी खूबी है।
ऊंचाई पर उड़ने में माहिर
मिग-29 विमान कश्मीर और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में आसानी से उड़ान भर सकता है। इसकी टॉप स्पीड 2400 किमी प्रति घंटा है और इसमें हथियारों को ले जाने के लिए कुल 7 हार्डप्वाइंट्स भी दिए गए हैं। इससे दुश्मन देशों के विमानों को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है।
करगिल में बरपाया था कहर
मिग-29 ने अपनी काबिलियत को करगिल युद्ध के दौरान भी साबित किया था। इन विमानों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के कई अहम इलाकों पर जमकर बमबारी की थी। इस कारण पाकिस्तान पर जीत हासिल करने में सेना को बड़ी मदद मिली थी।
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