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Hindi News भारत राष्ट्रीय Video: भारतीय वायुसेना ने रचा इतिहास, रात के घुप्प अंधेरे में कारगिल हवाई पट्टी पर पहली बार की लैंडिंग

Video: भारतीय वायुसेना ने रचा इतिहास, रात के घुप्प अंधेरे में कारगिल हवाई पट्टी पर पहली बार की लैंडिंग

कारगिल एयरस्ट्रिप पर रात के अंधेरे में किसी विमान की लैंडिंग बेहद मुश्किल कार्य है। ऐसे ही मुश्किल कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करके भारतीय वायुसेना ने अपनी साहसिक क्षमताओं का बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

Indian Air Force, Hercules, Kargil, Kargil Airstrip- India TV Hindi Image Source : FILE भारतीय वायुसेना ने रचा इतिहास

कारगिल: भारतीय वायु सेना के विमान हर्क्‍यूलीज 'सी-130जे' ने कारगिल हवाई पट्टी पर पहली बार रात में लैंडिंग की है। वायु सेना ने रविवार को इस उपलब्धि की जानकारी साझा की। कारगिल की यह हवाई पट्टी चारों ओर से पहड़ियों से घिरी है। ऐसे में यहां रात में लैंडिग एक महत्वपूर्ण उपलब्धि व वायु सेना का नया कीर्तिमान माना जा रहा है।

मिशन के दौरान टेरेन मास्किंग तकनीक का इस्‍तेमाल किया

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि कारगिल में अपने इस मिशन के दौरान टेरेन मास्किंग तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया है। टेरेन मास्किंग वह रणनीति होती है, जिसके अंतर्गत वायु सेना के विमान दुश्‍मन देश या सेना के रडार को चकमा देकर अपने लक्ष्‍य तक पहुंचते हैं। माना जा रहा है कि भारतीय वायुसेना का यह मिशन एक ऐसे अभ्‍यास का हिस्‍सा है जिसके तहत कमांडो को कठिन परिस्थितियों में अविलंब मोर्चे पर भेजा जा सकता है।

अपनी इस उपलब्धि पर भारतीय वायु सेना का कहना है कि कारगिल हवाई पट्टी पर रात में विमान की लैंडिंग के दौरान टेरेन मास्किंग का कार्य किया गया। इसके साथ ही वायुसेना ने कहा कि इस अभ्यास से गरुड़ कमांडो के प्रशिक्षण मिशन में भी मदद मिली। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारतीय सुरक्षा बलों की क्षमताओं में लगातार विस्तार किया जा रहा है। थल सेना के साथ-साथ वायु सेना भी दिन के अलावा रात में भी भारतीयों सीमाओं पर अपनी निगरानी को बढ़ा रही है।

इसे मानी जा रही वायुसेना की बड़ी सफलता 

दिन और रात दोनों ही समय निगरानी को चुस्त दुरुस्त बनाए रखने के इरादे से भारतीय वायुसेना के हर्क्‍यूलीज विमान घनी पहाड़ियों के बीच कारगिल की एयरस्ट्रिप पर रात में उतारने का सफल प्रयास किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यहां मौजूद भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इसे वायु सेना की एक बड़ी सफलता कहा जा सकता है।

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