लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र में सुधार और भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट देने की बात होती रही है। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बारे में बड़ा दावा किया है। जयशंकर ने मंगलवार को कहा है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता निश्चित रूप से मिलेगी। लेकिन एस जयशंकर ने ये भी बताया है कि देश को इसके लिए इस बार कड़ी मेहनत करनी होगी। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है।
बिना परिश्रम के कुछ बड़ा हासिल नहीं होता
गुजरात के राजकोट शहर में बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पूरी दुनिया में इस तरह की भावना है कि भारत को स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। यह भावना हर साल बढ़ रही है। एस जयशंकर ने कहा कि हम निश्चित रूप से स्थायी सदस्यता हासिल करेंगे, लेकिन बिना परिश्रम के कुछ बड़ा हासिल नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि हमें कठिन परिश्रम करना होगा और इस बार हमें और कड़ी मेहनत करनी होगी।
कई सालों से यही चल रहा है
एस जयशंकर ने कहा कि UN की स्थापना लगभग 80 साल पहले हुई थी और चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने आपस में स्थायी सदस्य बनने का फैसला कर लिया। उस वक्त दुनिया में 50 स्वतंत्र देश थे जो अब बढ़कर 193 हो गए हैं। हालांकि, पांच देशों ने UN का नियंत्रण रखा और अजीब बात है कि किसी बदलाव के आपको उनसे मंजूरी के लिए कहना पड़ता है। कुछ देश सहमत होकर ईमानदारी से अपना रुख रखते हैं और कुछ देश पीछे से कुछ करते हैं। कई सालों से यह चल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है?
एस जयशंकर ने जानकारी दी है कि भारत, जापान, जर्मनी और मिस्र ने संयुक्त राष्ट्र के सामने मिलकर एक प्रस्ताव रखा है। इससे मामले थोड़ा आगे बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, जयशंकर ने ये भी कहा कि हमें दबाव बनाना चाहिए और जब यह दबाव बढ़ता है तो दुनिया में यह भावना पैदा होती है कि संयुक्त राष्ट्र कमजोर हो गया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में गतिरोध था और गाजा के संबंध में संयुक्त राष्ट्र में कोई आम सहमति नहीं बन पाई। जैसे-जैसे यह भावना बढ़ेगी, हमें स्थायी सीट मिलने की संभावना भी बढ़ेगी। (इनपुट: भाषा)
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