विदेश सचिव ने कहा, पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन सुरक्षा की कीमत पर नहीं
श्रृंगला ने कहा, हम पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं लेकिन ये हमारी सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकते।
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- सरकार के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की तरह ‘पड़ोस प्रथम’ पहल महत्वपूर्ण प्रयास है: श्रृंगला
- श्रृंगला ने कहा, ‘पड़ोस प्रथम’ भारत की विदेश नीति की सभी प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है।
- विदेश सचिव ने कहा कि हमारा मकसद लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।
नयी दिल्ली: विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने ‘पड़ोस प्रथम’ को भारत की विदेश नीति की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए बुधवार को कहा कि ‘हम पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध की इच्छा रखते हैं लेकिन यह हमारी सुरक्षा की कीमत पर नहीं’ हो सकता है। श्रृंगला ने लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में ‘भारत के पड़ोस’ पर प्रशिक्षण प्रकल्प के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘सरकार के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की तरह ‘पड़ोस प्रथम’ पहल महत्वपूर्ण प्रयास है। ‘पड़ोस प्रथम’ भारत की विदेश नीति की सभी प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है।’
श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पड़ोस प्रथम नीति में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि इन देशों में पाकिस्तान के अपवाद को छोड़कर अन्य के साथ सभी पक्ष काफी निकटता से काम कर रहे हैं। श्रृंगला ने कहा, ‘हम पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं लेकिन ये हमारी सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकते।’
चीन के साथ संबंधों को लेकर विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता दोनों देशों के संबंधों के विकास के लिये जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘भारत-चीन संबंधों का विकास तीन साझी बातों, आपसी सम्मान, साझी संवेदनशीलता और आपसी हित पर आधारित होना चाहिए।’ विदेश सचिव ने कहा कि एक नीति के तौर पर ‘पड़ोस प्रथम’ को पड़ोसियों की क्षमता निर्माण और परियोजनाओं के अनुपालन के आधार पर सहयोग को मजबूत बनाने के लिये सक्रिय होने की जरूरत है।
श्रृंगला ने कहा कि जहां भी संभव हो, हमें राष्ट्रीय विकास योजनाओं को अपने सहयोगियों की चिंताओं एवं संप्रभुता का हनन किये बिना आगे बढ़ाने एवं जोड़ने के रास्ते तलाशने चाहिए। विदेश सचिव ने कहा कि इसके साथ ही भू राजनीतिक वास्तविकताओं तथा सीमापार आतंकवाद एवं अपराध जैसे वास्तविक खतरों का भी मुकाबला करना होगा। उन्होंने कहा, ‘हम इनसे दृढ़ता से निपटेंगे। इसके लिये हम अपनी क्षमताओं को बढ़ाना जारी रखेंगे।’
विदेश सचिव ने कहा कि देश सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र, वित्तीय कार्यवाही कार्य बल (FATF), शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों पर बहुस्तरीय एवं बहुआयामी सहयोग के माध्यम से गठबंधन एवं नेटवर्क बनायेगा तथा बिम्स्टेक, IORA आदि के माध्यम से करीब आयेगा। श्रृंगला ने अफगानिस्तान के मित्रवत लोगों के साथ भारत के विशेष संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि अफगानिस्तान की मानवीय स्थिति को देखते हुए भारत ने वहां के लोगों के लिये 50 हजार मिट्रिक टन गेहूं तोहफे में देने का निर्णय किया है और इसकी पहली खेप भेजी जा चुकी है।
श्रृंगला ने अफगानिस्तान को कोविड-19 रोधी टीके, जीवन रक्षक दवाओं एवं सर्दी में उपयोग किये जाने वाले कपड़ों की आपूर्ति का भी जिक्र किया। म्यांमार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम म्यांमार के साथ जुड़े हुए हैं जिसके साथ हमारी 1700 किलोमीटर लम्बी सीमा है। हमारे संपर्कों में हम भारत के हित में म्यांमार में जल्द से जल्द लोकतंत्र की बहाली पर जोर दे रहे हैं। पड़ोस में भारत का विकास गठजोड़ के तहत पड़ोसियों की कुशलता और उनकी क्षमताओं के विस्तार में निवेश किया जाता है। हम संस्थानों के निर्माण क समर्थन करते हैं। हमारा मकसद लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।’
विदेश सचिव ने कहा कि पड़ोसियों के लिये भारत की ओर से दी जाने वाली ऋण सुविधा वर्ष 2014 के 3.27 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 14.7 अरब डॉलर हो गई। विदेश सचिव ने कहा कि पड़ोस में भारत समर्थित परियोजनाओं को दूसरों से अलग करने वाली खूबी उनकी लोक केंद्रित प्रकृति है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका, मालदीव, नेपाल और अफगानिस्तान में अस्पतालों का निर्माण हो, श्रीलंका में एम्बुलेंस परियोजना, म्यांमार में उच्च शिक्षण संस्थान बनाना, श्रीलंका में सुनामी एवं नेपाल में भूकंप के बाद हजारों की संख्या में घरों का निर्माण, मारिशस में हाई कोर्ट बिल्डिंग शामिल है।