इंडिया टीवी संवाद बजट 2023: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताई बुलेट ट्रेन चलने की तारीख, हाइड्रोजन ट्रेन पर भी बोले
भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेनों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कवच नाम की खुद की ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम विकसित करने को लेकर भी अश्विनी वैष्णव ने महत्वपूर्ण जानकारी दी।
नई दिल्ली: रेलवे, आईटी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का प्रोटोटाइप इस साल दिसंबर में देश की पटरियों पर दौड़ेगा, जबकि भारत की पहली बुलेट ट्रेन अगस्त 2026 में चलाने का टारगेट है।
रेलवे, आईटी और संचार पर तमाम सवालों के जवाब देते हुए वैष्णव ने कहा: ‘140 किलोमीटर के पिलर पहले ही बन चुके हैं, 8 नदियों पर पुल डेक के लेवल पर आ गए हैं और महाराष्ट्र के सभी 13 स्टेशनों पर तेजी से काम हो रहा है। बुलेट ट्रेन 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी। जापान के प्रधानमंत्री ने काम की निगरानी के लिए अपने सबसे सीनियर कलीग को भारत भेजा, और काम की गति और इसकी क्वॉलिटी देखकर वह हैरान रह गए थे।’
इंडिया टीवी संवाद बजट 2023 में हाइड्रोजन ट्रेन पर बोलते हुए वैष्णव ने कहा, ‘हाइड्रोजन ट्रेन बहुत ही कॉम्प्लेक्स टेक्नॉलजी है। हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल करके इलेक्ट्रिसिटी जनरेट की जाती है। इस तकनीक से केवल 2-3 देशों ने ही ट्रेन बनाई है। प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे कि भारत इस टेक्नॉलजी में लीड करे, दूसरे को फॉलो न करे। पहले ही हमने अलग-अलग सिस्टम्स जैसे कि फ्यूल सेल सिस्टम, पावर ट्रेन सिस्टम, वीइकल कंट्रोल सिस्टम की टेस्टिंग कर ली है और अब इसे इंटिग्रेट करेंगे। दिसंबर 2023 तक पहली हाइड्रोजन ट्रेन भारतीय की पटरियों पर दौड़ सकती है। यह एक मुश्किल टारगेट है। ट्रेन के कई टेस्ट होते हैं क्योंकि लोगों की सुरक्षा एक बड़ा विषय है।’
भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेनों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कवच नाम की खुद की ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम विकसित करने को लेकर वैष्णव ने कहा, ‘जहां बाकी देशों के ATP 2जी या 3जी टेक्नॉलजी पर चल रहे हैं, और कुछ देशों ने 4जी की तरफ माइग्रेट किया है, प्रधानमंत्री ने इसके लिए 5जी का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। यह एक बहुत ही कॉम्प्लेक्स टारगेट है। मैं रविवार (4 फरवरी) को सेंटर फॉर एक्सीलेंस में 5जी पर कॉन्ट्रैक्चुअल प्लान की डिटेल में स्टडी करने के लिए सिकंदराबाद जा रहा हूं।’
रेल मंत्री ने वंदे भारत ट्रेनों की प्रगति की प्रशंसा करते हुए कहा: ‘प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में वंदे भारत का कॉन्सेप्ट दिया था, यह 2019 में बनी, और दो साल तक कई लाख किलोमीटर से ज्यादा चलाकर इसकी टेस्टिंग की गई, और अब प्रैक्टिकली हर 8 से 10 दिन में एक वंदे भारत ट्रेन बनाई जा रही है। हमारा लक्ष्य हर हफ्ते दो से तीन वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण करना है। प्रधानमंत्री मोदी बहुत ही डिमांडिंग बॉस हैं।’
वैष्णव ने कहा, ‘वंदे भारत 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनें हैं जो कि 500 से 600 किमी की दूरी वाले शहरों को जोड़ती हैं। अब हम 100 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित दो शहरों के बीच वंदे मेट्रो शटल चलाने पर फोकस कर रहे हैं। ये ट्रेनें यूरोपियन मॉडल पर 30 से 45 मिनट के अंतर पर चलेंगी। इसका प्रोटोटाइप 12 से 15 महीने में तैयार हो जाएगा और एक साल तक ट्रायल के बाद सीरियल प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा।’
वंदे भारत ट्रेनों की चपेट में आने वाले मवेशियों से जुड़े हादसों पर वैष्णव ने जवाब दिया: ‘हमने इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए 0.75 मीटर की ऊंचाई और 1.4 मीटर की ऊंचाई वाली फेंसिंग डिजाइन तैयार की है। वंदे भारत ट्रेन को सामने से इस तरह डिजाइन किया गया है कि अगर यह 250 किलोग्राम के मवेशी से टकरा भी जाए तो इसकी काइनेटिक एनर्जी अवशोषित और खत्म हो सके।’
इस साल के बजट में रेलवे के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपये के आवंटन से उत्साहित वैष्णव ने कहा: ‘4,500 किलोमीटर नए रेलवे ट्रैक बिछाए जाएंगे, और वित्त वर्ष 2023-24 में 7,000 किमी नए ट्रैक बनाए जाएंगे। औसतन, रोजाना 12 किलोमीटर नया रेल ट्रैक जोड़ा जाएगा। गांधीनगर, भोपाल और बेंगलुरु में 3 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के पायलट प्रोजेक्ट के बादअब 53 स्टेशनों को पुनर्विकसित किया जाएगा। कुल मिलाकर 1,275 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाएगा। एक ट्रेन की लाइफ आमतौर पर 35 वर्ष होती है। इन्हें पहले 70 से 80 किमी प्रति घंटे की स्पीड के लिए डिजाइन किया गया था, जिसे अब 100 किमी प्रति घंटे तक अपग्रेड किया गया है। अब हम 130 से 160 किमी प्रति घंटे की गति से चलने वाली ट्रेनों को संभालने के लिए ट्रैक बिछाएंगे। इसके लिए लगभग 1,000 फ्लाईओवर या अंडरपास बनाए जा रहे हैं। इससे मवेशियों और अन्य चीजों को ट्रेन की चपेट में आने से रोका जा सकेगा।’
रेलवे में नौकरियों के लिए वैष्णव ने कहा, ‘हाल ही में 2 करोड़ से ज्यादा युवाओं ने भारतीय रेलवे में 1.45 लाख नौकरियों के लिए अप्लाई किया था। पारदर्शिता के मामले पर प्रधानमंत्री मोदी के फोकस के कारण पेपर लीक नहीं हुआ। 1.45 लाख नौकरियों के अलावा 750 स्टेशनों पर सप्लायर्स और वेंडर्स का बड़ा परिवार है। वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट का यूनीक लोकल प्रॉडक्ट कॉन्सेप्ट है, जो स्थानीय कारीगरों को रोजगार दे रहा है। हाल ही में आजमगढ़ रेलवे स्टेशन पर ब्लैक पॉटरी खरीदने वाले ग्राहक को कारीगरों के लिए एक्सपोर्ट ऑर्डर मिला। ऐसे कॉन्सेप्ट के पावर के बारे में सोचकर देखिए।’
रेल मंत्री ने भारतीय रेलवे के निजीकरण की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा: ‘इस तरह के आरोप लगाने वाले दूसरी दुनिया में रह रहे हैं। मुझसे पहले रेल मंत्री रहे पीयूष गोयल और मैंने संसद के पटल पर स्पष्ट रूप से कहा है कि भारतीय रेलवे के निजीकरण का कोई सवाल ही नहीं है। रेलवे ट्रैक, ट्रेनें, स्टेशन, ओवरहेड तार, सब कुछ रेलवे का खुद का है। रेलवे एक स्ट्रैटिजिक सेक्टर है जिसका एक बड़ा सामाजिक दायित्व है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो गरीब से गरीब व्यक्ति की सेवा करता है। इसलिए, इसके निजीकरण का कोई सवाल ही नहीं है।’
वरिष्ठ नागरिकों के किराये में रियायत बंद करने पर वैष्णव ने कहा, ‘रेलवे पहले ही सभी नागरिकों को रेल किराये पर 55 फीसदी सब्सिडी देता है। यह यात्री किराया सब्सिडी 52,000 करोड़ रुपये बैठती है। इसके अलावा, रेलवे खाने-पीने के सामान और खाद की ढुलाई पर भी सब्सिडी देता है। हमारा उद्देश्य गरीबों के लिए भी रेल यात्रा को सस्ता रखना है।’
ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट के बारे में वैष्णव ने कहा, ‘हर साल 800 करोड़ लोग रेलवे में सफर करते हैं। भारत की आबादी 130 करोड़ है, यानी एक शख्स कई बार रेल यात्रा करता है। इसके बढ़कर 1100 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। इसकी कैपेसिटी बढ़ाने के लिए इसमें भारी निवेश की आवश्यकता होगी।’
टेलिकॉम
टेलिकॉम सेक्टर पर बात करते हुए संचार मंत्री ने कहा: ‘नीलामी के जरिए 5जी स्पेक्ट्रम हासिल करने वालों को इसके अलॉटमेंट का काम तेजी से चल रहा है। अनकनेक्टेड एरिया को जोड़ने के लिए अगले 3 या साढ़े तीन सालों में 40,000 नए टावरों को मंजूरी दी गई है। इनमें से 15,000 टावर पहले ही लगाए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री जी ने 2020 में हमें टारगेट दिया कि दुनिया में सिर्फ 5 देश ऐसे हैं जिनके पास टेलिकॉम टेक्नॉलजी एंड टू एंड है, हमें अपना टेलिकॉम स्टैक कंप्लीट बनाना चाहिए। यकीन करें, यह एक बहुत ही कठिन काम था। हमने अप्रैल 2022 में ‘मेड इन इंडिया’, ‘डिजाइंड इन इंडिया’ टेलीकॉम स्टैक की टेस्टिंग करके सारी दुनिया में हलचल पैदा कर दी थी। पहले हमने इसे अप्रैल-मई में एक साथ 10 लाख कॉल के लिए टेस्ट किया और फिर सितंबर में चंडीगढ़ और गुरुग्राम के बीच 50 लाख कॉल के लिए टेस्ट किया और नवंबर-दिसंबर में एक साथ एक करोड़ कॉल के लिए टेस्ट किया।’
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