भारत ने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा करने वाले प्रस्ताव पर भाग नहीं लिया। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, और फ्रांस सहित करीब 100 सदस्य देशों ने 'यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता' नामक प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया। प्रस्ताव में हां और न में मतदान करने वालों में से दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी जिसे महासभा में अपनाया जाना था।
कुल 141 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया जबकि पांच ने इसका विरोध किया। भारत उन 35 देशों में शामिल था, जिन्होंने परहेज किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए इस वोटिंग प्रक्रिया में भारत के न होने पर पक्ष रखा है।
महासभा में 193 सदस्य हैं। बुधवार को इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए मतदान किया। यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की।
प्रस्ताव में परमाणु बलों को मुस्तैद करने के रूस के फैसले की भी निंदा की गई। साथ ही यूक्रेन के खिलाफ बल के इस 'गैरकानूनी उपयोग' में बेलारूस की भागीदारी की भी निंदा की गई। प्रस्ताव में राजनीतिक वार्ता, मध्यस्थता और अन्य शांतिपूर्ण तरीकों से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के तत्काल शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया गया है।
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