इंडिया टीवी ग्राउंड रिपोर्ट: हल्द्वानी, जहां ढहाए जाएंगे हजारों घर, बेघर हो जाएंगे लाखों लोग
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हर दिन क़रीब 2-3 हज़ार की संख्या में स्थानीय महिलाएं यहां पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही हैं। ये दोपहर में 2:30 से लेकर शाम के साढ़े चार बजे तक शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध प्रदर्शन नहीं कर रही हैं।
हल्द्वानी: उत्तराखंड का हल्द्वानी इन दिनों खूब चर्चा में है। यहां की खूबसूरती दुनियाभर में प्रसिद्ध है। दुनियाभर से पर्यटक यहां घूमने आते हैं। लेकिन आजकल हल्द्वानी किन्हीं अन्य वजहों से चर्चा में है। हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद यहां 80 एकड़ से भी ज्यादा जमीन पर बसे पूरे इलाके की मजिलों को ढहाए जाने की बात चल रही है।
हाईकोर्ट ने फैसले के बाद इंडिया टीवी के रिपोर्टर मनीष प्रसाद ने मौके पर जाकर देखा और पेश है उनकी एक रिपोर्ट-
हल्द्वानी का बन फूल पूरा, ये वो जगह है जहां पर 82.7 एकड़ ज़मीन को लेकर इस समय पूरे देश में चर्चा हो रही है। भारतीय रेल कई कहना है कि यह ज़मीन नॉर्थ ईस्ट रेलवे की है। वहीं हाईकोर्ट ने भी फ़ैसला सुना दिया है। अब ड्रोन के ज़रिए इस इलाक़े को मैप किया जाएगा और फिर इसके बाद इसे गिराया जाएगा। हालांकि हाईकोर्ट के फ़ैसले को चैलेंज करते हुए यहां के स्थानीय लोग सुप्रीम कोर्ट गए हैं और 5 जनवरी को इसकी सुनवाई होनी है। क्योंकि हाई कोर्ट का यह आदेश है इसलिए इसको अमल में लाने के लिए पुलिस प्रशासन ने क़रीबन 1 हज़ार की संख्या में पुलिस फ़ोर्स और पैरामिलिट्री जवानों की तैनाती के लिए आवेदन दिया है ताकि इनकी तैनाती के साथ साथ कोई भी लॉ एंड ऑर्डर सिचुएशन ना बने इस बात का ध्यान रखा जा रहा है
यहां मौजूद हैं 6 हजार से ज्यादा घर
इस पूरे इलाक़े में 95% मुस्लिम आबादी है और बाक़ी 5% हिंदू आबादी है। इस जगह पर 1935 से उनका घर है, जिसके उनके पास डॉक्युमेंट्स भी हैं, लेकिन रेलवे का यह दावा है कि यह ज़मीन रेलवे कि है। इसमें कुल मिलाकर 82.7 एकड़ का एरिया है। जिसमें 5 सरकारी स्कूल, 10 प्राइवेट स्कूल, 3 मंदिर, 12 मस्जिदें, 5-6 मदरसे, 2 बैंक हल्द्वानी के रेलवे स्टेशन के पास पूरी बस्ती के साथ ये सब टूटने जा रहा है। शुरुआत में यहां 4365 घर थे लेकिन अब इन घरों की संख्या दो हज़ार और बढ़ गई है यानी कुल मिलाकर ये छह हज़ार घर है। यहां लगभग 60,000 की आबादी है, जिनमें से 95 प्रतिशत मुस्लिम हैं। यह सब इस अतिक्रमण हटाओ अभियान के दायरे में आ रहे हैं।
बता दें कि 2013 में हल्द्वानी की गौला नदी पर बना एक पुल गिर गया था। जिसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई, जिसमें ये कहा गया का पुल अवैध खनन से गिरा है और ये अवैध खनन पुल के आसपास रहने वाले करते हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया तो रेलवे ने गफूर बस्ती और ढोलक बस्ती की जमीन को अपना बता दिया। शुरुआत में रेलवे ने कुल 29 एकड़ की जमीन पर अवैध कब्जा बताया था। उस दौरान राज्य सरकार ने कहा था कि जमीन नजूल की है। हालांकि अब रेलवे ने अपना दावा बढ़ाकर 82 एकड़ से ज्यादा कर दिया है। इस 82 एकड़ के दायरे में बहुत बड़ी आबादी आ रही है।
रेलवे ने अखबार में छपवाया नोटिस
नैनीताल हाईकोर्ट ने रेलवे के पक्ष में फैसला दिया है और जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दे दिया है। जिसके बाद रेलवे ने स्थानीय अखबारों में 1 जनवरी को नोटिस भी छाप दिया है। नोटिस में लिखा है कि इसके छपने के एक हफ्ते के भीतर अतिक्रमण हट जाए। नोटिस में लिखा है कि अवैध कब्जा खाली कर दिया जाए नहीं तो एक हफ्ते के बाद डेमोलिशन होगा और अतिक्रमण खाली करवाया जाएगा। इसके लिए रेलवे के द्वारा अनाउंसमेंट और मुनादी करवाई जा रही है साथ में रेलवे के ADRM जिला के SDM और लॉ एंड ऑर्डर संभालने के लिए CO सिटी ने पूरे एरिया का मुआयना किया। हालांकि इन सभी जगहों पर यहां के लोगों से भी मुलाक़ात करते हुए उन्होंने शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात कही है।