तुर्की में देवदूत बनी NDRF टीमें जब आने लगी वतन वापस, स्थानीय लोगों ने ऐसे कहा शुक्रिया
विनाशकारी भूकंप का दंश झेल रहे तुर्की से लौटते वक्त भारत के एनडीआरएफ कर्मियों का तुर्की के अदाना एयरपोट पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
विनाशकारी भूकंप का दंश झेल रहे तुर्की के अलग-अलग प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और खोज अभियान के लिए भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' के तहत NDRF टीमों को भेजा था। अब वहां से लौटते वक्त भारत के एनडीआरएफ कर्मियों का तुर्की के अदाना एयरपोट पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया। ये तस्वीरें देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। भारत की दो एनडीआरएफ टीमों को तुर्की के लोगों ने अडाना से भारत वापसी के दौरान हवाई अड्डे पर तालियों से स्वागत और शुक्रिया किया।
तुर्की-सीरिया की मदद के लिए "ऑपरेशन दोस्त"
गौरतलब है कि एनडीआरएफ ने बचाव अभियानों के लिए तुर्की में तीन दल भेजे हैं। भारत ने तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप के बाद दोनों देशों की मदद के लिए ‘‘ऑपरेशन दोस्त’’ शुरू किया है। दोनों देशों में इस भूकंप से 44 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गयी है। अधिकारियों ने बताया था कि एनडीआरएफ ने कंक्रीट के मलबे और अन्य ढांचे को तोड़ने के लिए चिप और मशीनों का इस्तेमाल किया और उसके पास गहरायी तक जाने वाले रडार भी हैं जो किसी व्यक्ति की दिल की धड़कन जैसी मंद आवाज को भी पकड़ लेते हैं।
15 दिन की तैयारी के साथ गई थीं टीमें
एक अन्य अधिकारी ने बताया था कि एनडीआरएफ की ये टीमें मलबे में से लोगों को निकालेगी, घायलों को प्राथमिक उपचार देगी और उन्हें चिकित्सा कर्मियों को सौंपेगी। एनडीआरएफ के महानिदेशक (डीजी) अतुल करवाल ने बताया था कि भेजे गए दलों के पास करीब एक पखवाड़े (15 दिन) का राशन, तंबू और अन्य साजो समान साथ है। करवाल ने कहा, “हमने तुर्की में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड में काम करने के लिए अपने बचाव कर्मियों को सर्दियों के विशेष कपड़े दिए। ये कपड़े भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और अन्य से उधार लिए गए।” उन्होंने कहा कि ज़मीन पर मौजूद टीम के पास संपर्क में रहने के लिए सैटेलाइट फोन हैं।
पहली बार महिला कर्मी भारत के बाहर तैनात
एनडीआरएफ की डीजी करवाल ने कहा कि इन दलों में पांच महिला कर्मचारी भी शामिल थीं और यह पहली बार है कि एनडीआरएफ की महिला कर्मियों को भारत के बाहर तैनात किया गया है। डीजी ने कहा कि महिला कर्मियों ने अपने पुरुष सहयोगियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है।
ये भी पढ़ें-
भूकंप प्रभावित तुर्की में चमत्कार, 10 दिन बाद मलबे से ज़िंदा निकली 17 साल की अल्येना
"नौ दिन में मौत चली सिर्फ अढ़ाई कोस"...और जिंदगी निकल गई मीलों आगे, तुर्की भूकंप की हैरतअंगेज कहानी