अदालतों में लंबे वक्त से पेंडिंग केसों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। बताया जाता है कि देश की अदालत में 4 करोड़ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। आलम यह है कि केस इतने पुराने हैं कि सीनियर जज की उम्र भी उन केसों से दशकों कम है। इस बीच, पिछले सप्ताह देश के सबसे पुराने केस को निपटाया गया। इस केस में पिछले 72 सालों से तारीख पर तारीख का सिलसिला जारी था।
यह केस 1951 का था। कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस श्रीवास्तव भी केस फाइल होने के पूरे एक दशक के बाद जन्मे थे। 1951 का यह केस खत्म होने के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट को भी बड़ी राहत मिली होगी। मामला बरहामपुर बैंक लिमिटेड के लिक्विडेशन का था। हालांकि, अभी 5 ऐसे केस भी हैं, जो 1952 में फाइल हुए थे। इनमें से दो सिविल केस हैं, जो बंगाल के मालदा में पेंडिंग हैं। वहीं, एक केस मद्रास हाई कोर्ट में है। मालदा कोर्ट ने मार्च और नवंबर में सुनवाई की तारीख रखी है।
1951 को यह केस कोर्ट में आया था
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिग में 9 जनवरी तक बहरामपुर केस ही सबसे पुराना था। जब जस्टिस रवि कृष्ण कपूर ने पिछले साल 19 सितंबर को केस के निपटारे के आदेश पर हस्ताक्षर किए, इसे सील किया गया और टाइपोग्राफिकल सुधार के साथ दिया गया। जब कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस बैंक को दिवालिया घोषित किया, तो मामले को 19 नवंबर 1948 को बंद कर दिया गया था। कोर्ट के इस आदेश के बाद ये केस फिर से फाइल किया गया था। 1 जनवरी 1951 को यह केस कोर्ट में आया था। केस संख्या 71/1951 के तहत दर्ज किया गया था।
पैसा वापसी को लेकर कई मामले दर्ज थे
बरहामपुर बैंक पर कर्ज लेने वालों से पैसा वापसी को लेकर कई मामले दर्ज थे। कई कर्ज लेने वाले लोग कोर्ट भी पहुंच गए थे। पिछले साल दो बार इस मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन कोई भी पेश नहीं हुआ था। 19 सितंबर को असिस्टेंट लिक्लिडेटर ने बेंच से कहा था कि अगस्त 2006 में ही केस बंद हो चुका है। हो सकता है कि रिकॉर्ड में अपडेट न हुआ हो।
सबसे पुराने दो केसों की सुनवाई जस्टिस कपूर ने 23 अगस्त 2022 को की थी। उन्होंने वकीलों और विशेष अधिकारी को सभी पार्टियों से मिलकर केस खत्म करने के लिए राजी करने को कहा था। 1952 के केस के बारे में भी बहुत कम ही डेटा उपलब्ध है।
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