नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने साबित कर दिया है कि इसकी विदेश नीति राष्ट्र हित के हिसाब से तय होती है, और स्वतंत्र है। दिल्ली दौरे पर आए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को भारत की विदेश नीति के बारे में बोलते हुए कहा कि यह मुल्क किसी के दवाब में काम नहीं करता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ हुई बातचीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में लावरोव ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारतीय विदेश नीति के केंद्र में उसके राष्ट्रीय हित हैं और वह किसी के दबाव में काम नहीं करता है।’
‘भारत हमसे कुछ भी खरीदना चाहे तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं’
रूसी विदेश मंत्री ने भारत की तटस्थता की नीति से लेकर तेल आयात जैसे मुद्दों पर पूछे गए सवालों सवालों पर स्पष्ट जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अगर भारत अगर रूस से तेल आयात करना चाहता है तो अमेरिकी प्रतिबंधों से लेकर पेमेंट सिस्टम तक, सारी चीजों के लिए रास्ता निकाला जाएगा। उन्होंने कहा, 'अगर भारत हमसे कुछ भी खरीदना चाहता है तो हम बातचीत को तैयार हैं और पारस्परिक हित में समझौते को तैयार हैं।' उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में भी भारत के साथ हम सहयोग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत जैसी ही है रूस की विदेश नीति
भारत की विदेश नीति पर अपने विचार रखते हुए लावरोव ने कहा कि रूस की विदेश नीति भी भारतीय विदेश नीति के सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हम दोनों बड़े देशों के बीच दोस्ताना संबंध है और हम एक-दूसरे के भरोसेमंद साझेदार हैं। लावरोव ने भारत-रूस के परंपरागत संबंधों के बारे में बात करते हुए कहा कि हमने भारत के साथ कई दशकों से मजबूत रिश्ते बनाए हैं और इसी से हमारी बातचीत की दिशा तय होती है।
अमेरिका ने दी थी भारत को 'धमकी'
बता दें कि इससे पहले अमेरिका ने आगाह किया था कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने कहा था कि उनका देश रूस से ऊर्जा और दूसरी चीजों का भारत के आयात में 'तीव्र' बढ़ोतरी नहीं देखना चाहेगा। दलीप सिंह इतने पर ही नहीं रुके, बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि भारत को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि यदि चीन LAC का उल्लंघन करता है तो रूस, भारत की रक्षा करने के लिए दौड़ा चला आएगा।
Latest India News