संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समान प्रतिनिधित्व पर G4 वक्तव्य दिया। इस दौरान कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद में समान प्रतिनिधित्व 40 साल पहले महासभा के एजेंडे में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि यह अफ़सोस की बात है कि चार दशक बाद भी इस मुद्दे पर काम करने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है।
सुधार रुका रहा तो प्रतिनिधित्व घटेगा
रुचिरा कंबोज ने कहा कि परिषद में अभी भी वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य नहीं दिखता है। इसके उलट, कई दूसरे अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों ने परिवर्तन और अनुकूलन के लिए प्रयास किए। सुरक्षा परिषद को इससे अलग रखने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद सुधार जितना अधिक समय तक रुका रहेगा प्रतिनिधित्व उतना ही ज्यादा घटेगा और प्रतिनिधित्व ही इसकी वैधता और प्रभावशीलता के लिए एक अपरिहार्य पूर्व शर्त है।
रक्षा परिषद में सुधार प्राथमिकता होनी चाहिए
G4 देशों- ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत की ओर से कंबोज ने कहा, "इस बात पर ध्यान देना अहम है कि इस साल के हाई-लेवल सप्ताह के दौरान, 77वीं महासभा की आम बहस सहित, 70 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों और उच्च स्तरीय सरकारी प्रतिनिधियों ने जोर दिया कि इस सत्र के दौरान सुरक्षा परिषद में सुधार हमारी प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए। इस मुद्दे के लिए यह व्यापक समर्थन इसकी प्रासंगिकता और अर्जेंसी की पुष्टि करता है।
दोनों श्रेणियों में सदस्यता बढ़ाना जरूरी
भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद को संपूर्ण सदस्यता की ओर से काम करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों के अनुरूप लाने का ये सही समय है। उन्होंने कहा, "दोनों श्रेणियों में सदस्यता बढ़ाए बिना इसे हासिल नहीं किया जा सकता है। केवल यही परिषद आज के वैश्विक संघर्षों और तेजी से जटिल होती और आपस में जुड़ी वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में सक्षम होगी।"
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