नई दिल्ली: भारत में कोविड-19 की अब तक दी गई खुराक की कुल संख्या बुधवार को 125 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि बुधवार को शाम सात बजे तक टीकों की 71,55,049 खुराक दी गई। मंत्रालय ने कहा कि प्रतिदिन लगाये जाने वाले टीकों की खुराक की बुधवार की संख्या अंतिम रिपोर्ट के संकलन के बाद देर रात तक बढ़ सकती है। मंत्रालय द्वारा सुबह में यह आंकड़ा जारी किया जाएगा।
बता दें कि देश में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ था। पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों को टीका दिया गया था और दो फरवरी से अग्रिम मोर्चे के कर्मियों को टीका देना शुरू किया गया था। इसके बाद देश में एक मई से 18 साल की उम्र से अधिक के सभी लोगों को टीका देने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। अभी देश में 18 साल के कम के युवाओं और बच्चों के अलावा सभी का वैक्सीनेशन किया जा रहा है।
क्या मौजूदा वैक्सीन से हारेगा ओमिक्रॉन? जानें, कोरोना के नए वेरिएंट से क्यों खौफ में है दुनिया
कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट ने इस समय पूरी दुनिया की सरकारों के साथ-साथ आम जनता की नींद उड़ा रखी है। दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले मिले इस वेरिएंट के बारे में जो शुरुआती जानकारी मिली है, उसमें इसे काफी संक्रामक बताया है। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन से पैदा हुए इम्यून सिस्टम को भी बेधने में सक्षम है। हालांकि इस बारे में अभी तक कुछ भी साफ नहीं हो पाया है और इस वेरिएंट से जुड़ी बहुत सी बातें सामने आना अभी बाकी है।
कोरोना रोधी वैक्सीन कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की क्षमता को जांचने में अभी 2-3 हफ्ते का वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा कि अभी यह कहना ठीक नहीं होगा कि यह वेरिएंट ज्यादा या कम खतनाक है। वहीं, कोरोना के देसी टीके कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि उसने ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन के असर को लेकर स्टडी शुरू कर दी है। उसने कहा कि कोवैक्सीन को कोरोना के सबसे शुरुआती वुहान वेरिएंट के खिलाफ विकसित किया गया था।
वहीं, दक्षिण अफ्रीका के एक डॉक्टर ने कहा है कि इस वेरिएंट से संक्रमित लोगों में आमतौर पर सूखी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना, शरीर में दर्द होना जैसे हल्के लक्षण ही देखने को मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संक्रमितों में से टीका ले चुके लोगों की स्थिति टीका नहीं लेने वालों से बहुत बेहतर है। वहीं, ब्रिटेन के शीर्ष वैज्ञानिकों ने कहा था कि ओमिक्रॉन कोई आपदा नहीं है और टीके अब भी इससे होने वाली बीमारी से बचाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा था कि हमें लगता है कि स्थिति को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
ओमिक्रॉन को अब तक का सबसे तेज म्यूटेशन वाला वायरस कहा जा रहा है। इसके स्पाइक प्रोटीन में ही 30 म्यूटेशन हो चुके हैं। स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही वायरस इंसान की कोशिकाओं में घुसने के रास्ते को खोलता है। कोरोना का टीका स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ ही एंटीबॉडी तैयार करके शरीर को इसके खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करती है। वहीं, मौजूदा वैक्सीन को चीन के वुहान में मिले कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार किया गया था, इसलिए अब इस बात की आशंका जताई जा रही है कि हो सकता है कि नए वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन उतनी काम न करे।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या दुनिया को नई वैक्सीन की जरूरत होगी? इसका जवाब यही है कि अभी तक इस वेरिएंट के बारे में इतनी कम जानकारी मिल पाई है कि कुछ भी कहना मुश्किल है। हो सकता है कि मौजूदा वैक्सीन काफी हद तक ओमिक्रॉन के खिलाफ कारगर साबित हों। वहीं, यह भी एक तथ्य है कि वेक्सीन को लेकर लगातार अनुसंधान चल रहे हैं और उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में दुनिया के सामने बेहतर से बेहतरीन वैक्सींस आएंगी।
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